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इराक-सीरिया बॉर्डर पर इजराइल का हमला, क्या इसका भी बदला लेगा ईरान?

अभी अमेरिका और ईरान की तनातनी खत्म भी नहीं हुई है कि इस आग में एयरस्ट्राइक कर के इज़राइल ने घी डालने का काम कर दिया है. इजराइल के लॉकहीड मार्टिन एफ-53 फाइटर जेट ने ये हमला इराक-सीरिया सीमा पर शुक्रवार तड़के सुबह किया. इज़राइल ने यह हमला ईरान समर्थित हशेद अल-शाबी पैरामिलिट्री फोर्स के ठिकाने पर किया.

ईरान से इजराइल की पुरानी दुश्मनी है ईरान से इजराइल की पुरानी दुश्मनी है
शम्स ताहिर खान/परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

  • अमेरिका-ईरान की लड़ाई में कूदा इज़राइल
  • ईरान समर्थित फोर्स पर किया एयर स्ट्राइक
  • हमले में 8 लोगों के मारे जाने की आशंका

लड़ाई ईरान और अमेरिका के बीच है. हमले ये दोनों एक-दूसरे पर कर रहे थे. मगर अब अचानक इन दो देशों के बीच इजराइल भी कूद पड़ा. इजराइल के दो एफ-35 लड़ाकू विमान ने शुक्रवार को इराक-सीरिया सीमा पर मौजूद हशेद अल-शाबी पैरामिलिट्री फोर्स के ठिकाने पर बमबारी कर दी. जिसमें आठ लोग मारे गए. हशेद अल-शाबी ईरान का समर्थक गुट है. इजराइल के इस ताजा हमले को ईरान के साथ उसकी पुरानी दुश्मनी को जोड़ कर देखा जा रहा है.

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हमले में हुई 8 लोगों की मौत

अभी अमेरिका और ईरान की तनातनी खत्म भी नहीं हुई है कि इस आग में एयरस्ट्राइक कर के इज़राइल ने घी डालने का काम कर दिया है. इजराइल के लॉकहीड मार्टिन एफ-53 फाइटर जेट ने ये हमला इराक-सीरिया सीमा पर शुक्रवार तड़के सुबह किया. इज़राइल ने ये हमला ईरान समर्थित हशेद अल-शाबी पैरामिलिट्री फोर्स को निशाना बनाते हुए किया. बताया जा रहा है कि दो इज़राइली एफ-53 फाइटर जेट ने इराक के सरहदी बोकमाल इलाके में घुस कर इस हमले को अंजाम दिया. जिस जगह ये हमला हुआ वो अल-शाबी फोर्स का आर्मस डिपो है. सीरियल ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट के मुताबिक इन हमलों में अल-शाबी के 8 लोगों की मौत के अलावा हथियारों के जखीरे को काफी नुकसान हुआ है.

सवाल ये है कि आखिर इज़राइल ने ऐसे वक्त में जब खाड़ी गुस्से में खौल रही है. ये हमला कर के आग में घी क्यों डाला. दरअसल मेजर कासिम सुलेमानी पर हुई अमेरिकी कार्रवाई का सर्मथन करने वाले इज़राइल को इस बात का डर है कि ईरान या उसके समर्थक संगठन अमेरिका के बाद अब उसे भी निशाना बना सकते हैं. और ईरान ने धमकी भी दी है कि अगर अमेरीका ने जवाबी कार्रवाई की तो वो इज़राइल पर भी हमला कर सकता है. जिसके बाद इज़राइल ने हमला होने का इंतज़ार किए बिना इराक के बोकमाल इलाके में अल-शाबी के ठिकाने पर अपने फाइटर जेट से हमला कर दिया.

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ईरान-इज़राइल जंग राजनीतिक से ज्यादा धार्मिक

ईरान और इज़राइल की दुश्मनी पुरानी है. ये दुश्मनी तब से है जब से ईरान में इस्लामिक क्रांति आई. दरअसल ईरान का आरोप है कि इज़राइल ने मुसलमानों की ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा कर रखा है. और अब जेरुसलम यानी अल कुद्स पर अपना अधिकार कायम कर रहा है. अल-कुद्स और वहां बनी मस्जिद-ए-अक्सा की इस्लाम में काफी महत्व है. इसीलिए ईरान और इज़राइल की ये जंग राजनीतिक से ज़्यादा धार्मिक है. ईरान की कुद्स फोर्स भी इसी मकसद से बनाई गई थी कि येरुसलम को इज़राइल से आज़ाद कराना है. मगर इज़राइल के मज़बूत सुरक्षा और खुफिया तंत्र की वजह से ईरान इसमें अभी तक कामयाब नहीं हो पाया है.

इतिहास गवाह है कि इससे पहले कि दुश्मन मुल्क हमला करे इज़राइल पहले ही उस पर हमला कर देता है. इराक-सीरिया बॉर्डर पर भी उसने यही किया. दरअसल, इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद को सूचना मिली थी कि बोकमाल इलाके में हशद फाइटर उस पर हमले की योजना बना रहे हैं. मोसाद की ऐसी ही जानकारियों के दम पर इज़राइल पहले भी कई ऑपरेशन्स को अंजाम दे चुका है. इनमे दुनिया का अब तक का सबसे खतरनाक हवाई ऑपरेशन भी शामिल है. इस जानकारी के आधार पर ही इराक-सीरिया सीमा पर मौजूद हशेद अल-शाबी पैरामिलिट्री फोर्स के ठिकाने पर बमबारी कर दी गई.

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