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PAK से खफा अमेरिका अफगानिस्तान में भारत से चाहता है ये मदद

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘भारत से उन क्षेत्रों में मदद की जरूरत है जहां यह सुनिश्चित हो सके कि अफगानिस्तान एक देश के रूप में मजबूत हो.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत अफगानिस्तान की क्षमताओं और संस्थानों को मजबूत करने में मदद करें.  ताकि अफगानिस्तान पाकिस्तान में जड़ जमाए बैठे तालिबान से निपटने में सक्षम हो सके.

अफगानिस्तान एक देश के रूप में हो मजबूत

भाषा के मुताबिक उन्होंने बताया, ‘‘भारत से उन क्षेत्रों में मदद की जरूरत है जहां यह सुनिश्चित हो सके कि अफगानिस्तान एक देश के रूप में मजबूत हो. ऐसा देश जो सीमा के दूसरी ओर पाकिस्तान में जड़ें जमाए बैठे तालिबान से लोहा ले सके.’’ अधिकारी ने अगस्त में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नई अफगान और दक्षिण एशिया नीति की घोषणा किए जाने के बाद अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व लाने में भारत के योगदान पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दिया.

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साथ ही उन्होंने कहा कि सहायता के रूप में भारत का ध्यान मुख्य रूप से विकास की ओर रहा है और अमेरिका चाहता है कि यह सिलसिला जारी रहे तथा आगे बढ़ें.

भारत अफगानिस्तान की कर रहा मदद

अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत अफगानिस्तान के लोगों की मदद कर, अफगानिस्तान की सहायता कर रहा है. भारत ने जल प्रबंधन के क्षेत्र में अफगानिस्तान को मदद करने के लिए बहुत काम किया है.

आर्थिक विकास के क्षेत्रों में भारत करें मदद

भारत ने कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों को बढ़ावा देने में भी मदद की है जो विशेष रूप से आर्थिक विकास और रोजगार को आगे बढ़ाएंगे. निर्माण क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां उसने काफी मदद की है.’’ उन्होंने कहा कि और इस तरह आर्थिक विकास के क्षेत्रों में भारत जो भी मदद कर सकता है वह बहुत मददगार होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि इस दिशा में अमेरिका बहुत काम कर र हा है.

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अफगानिस्तान की करेंगे मदद

उन्होंने कहा कि जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वह उम्मीद करते हैं कि दूसरे लोग अफगानिस्तान को स्थायी सुरक्षा, स्थायित्व, आर्थिक प्रगति की ओर ले जाने और  अंतरराष्ट्रीय सहायता पर उसकी निर्भरता कम करने की जिम्मेदारी लेने में मदद करेंगे. उदाहरण के लिए यह सहायता संस्थागत सुधार के क्षेत्रों में भी हो सकती है.’’

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