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श्रीलंका मुद्दे पर तनाव, जेनेवा से बुलाए गए भारतीय दूत

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सोमवार को जेनेवा से अपने दूत को अमेरिकी प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए वापस बुला लिया.

आईएएनएस
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2013,
  • अपडेटेड 10:01 PM IST

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सोमवार को जेनेवा से अपने दूत को अमेरिकी प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए वापस बुला लिया. श्रीलंका मुद्दे पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता तथा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि द्वारा श्रीलंका के खिलाफ सख्त रुख अपनाने और उनकी अड़ियल मांगों को देखते हुए यह फैसला किया गया है. उन्हें मनाने का प्रयास करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के भारतीय दूत एवं स्थायी प्रतिनिधि दिलीप सिन्हा, सरकार को प्रस्ताव पर जानकारी देने के लिए मंगलवार को दिल्ली पहुंचेंगे.

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पिछले वर्ष की ही तरह तमिलनाडु में राजनीतिक दलों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा वर्तमान प्रस्ताव को रद्द करने तथा इसमें संशोधन कर कोलम्बो को तमिलों का जनसंहार किए जाने का दोषी ठहराने की सरकार से की जा रही मांगों के कारण यह मुद्दा काफी गर्म हो गया है.

संयुक्त राष्ट्र संघ के 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद के सत्र के दौरान 21 मार्च को इस प्रस्ताव के पेश होने की उम्मीद है. तमिलनाडु में बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा सड़क पर आकर श्रीलंका पर तमिल टाईगर्स के खिलाफ युद्ध में तमिल नागरिकों की हत्या का आरोप लगाने के कारण राज्य में श्रीलंका के खिलाफ लोगों की भावनाएं भड़क उठीं.

अधिकारियों को राज्य में कई विद्यालयों एवं छात्रावासों को बंद कराना पड़ा. इस बीच चेन्नई में सोमवार को एक रेलवे स्टेशन पर तमिल कार्यकर्ताओं ने एक बौद्ध भिक्षु पर हमला कर दिया. पुलिस ने बौद्ध भिक्षु को हमलावरों से बचाया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अपने अंतिम रूप में यह प्रस्ताव जेनेवा के समयानुसार सोमवार की देर शाम तक उपलब्ध हो पाएगा.

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संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव पर भारत के रुख के बारे में पूछने पर अकबरुद्दीन ने कहा कि जेनेवा से भारतीय दूत के यहां पहुंचने तथा प्रस्ताव का अंतिम प्रारूप उपलब्ध हो जाने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है.

लोकसभा में 18 सांसदों वाले संप्रग सरकार के घटक दल डीएमके के अध्यक्ष एम. करुणानिधि द्वारा रविवार को इस मसले पर सरकार से समर्थन वापस लेने की चेतावनी के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने सोमवार को करुणानिधि से बातचीत करने के लिए तीन वरिष्ठ मंत्रियों को चेन्नई रवाना किया.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम, रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद चेन्नई में करुणानिधि से मुलाकात करेंगे. कमलनाथ ने पत्रकारों से कहा कि तीनों वरिष्ठ मंत्रियों की करुणानिधि से बातचीत के बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी।.

करुणानिधि ने शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर कहा था कि तमिल टाईगर्स से युद्ध के दौरान तमिल नागरिकों की हत्या के लिए कोलम्बो पर विशेष रूप से जनसंहार के आरोप तय किए जाने चाहिए.

उन्होंने युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराध, अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन और तमिल आबादी के जनसंहार के आरोपों की जांच के लिए विश्वसनीय और स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय आयोग के गठन की भी मांग की है. इस बीच तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने भी सोमवार को जेनेवा में भारत को श्रीलंका के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने की मांग की.

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जयललिता ने कहा, ‘तमिलों की आहत एवं जायज भावनाओं की संतुष्टि के लिए बहुत जरूरी है कि भारत यूएनएचआरसी के 22वें सत्र में अमेरिकी प्रस्ताव के समर्थन में मजबूती के साथ खड़ा हो. इससे भी जरूरी यह है कि भारत इस प्रस्ताव को और सख्त बनाने के लिए इसमें जरूरी संशोधनों को स्वतंत्र रूप से प्रस्तुत करे.’

वर्ष 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) से युद्ध के अंतिम दिनों में बड़ी संख्या में तमिल नागरिकों के मारे जाने को लेकर श्रीलंका आरोपों के घेरे में है. इसके अतिरिक्त श्रीलंका पर लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन किए जाने के भी आरोप हैं.

पिछले वर्ष यूएनएचआरसी की बैठक में भारत ने श्रीलंका के खिलाफ मतदान किया था लेकिन अमेरिका द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कुछ पहलुओं को कोलम्बो के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के तौर पर देखा गया था.

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