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राज्यसभा में किरकिरी के बाद अमित शाह की सांसदों को चेतावनी, सभी को अलग से बुलाऊंगा

सोमवार को राज्यसभा में व्हिप जारी होने के बावजूद भी कई सांसद अनुपस्थित रहे, जिसपर अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सांसदों को चेतावनी दी है.

अमित शाह की सांसदों को फटकार अमित शाह की सांसदों को फटकार
अशोक सिंघल/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

संसद में सांसदों की अनुपस्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार बीजेपी सांसदों को चेतावनी दी है, लेकिन शायद सांसदों पर इसका कोई असर नहीं हुआ. सोमवार को राज्यसभा में व्हिप जारी होने के बावजूद भी बीजेपी के कई सांसद अनुपस्थित रहे, जिसपर अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सांसदों को चेतावनी दी है.

अमित शाह ने कहा कि व्हिप जारी होने के बावजूद भी सांसदों का अनुपस्थित होना चिंता का विषय है. सूत्रों की मानें तो अमित शाह अब सभी अनुपस्थित सांसदों को अलग से बुलाकर बातचीत कर सकते हैं. शाह बोले कि आप लोग जनता के प्रतिनिधि हैं, इसलिए सदन में रहना जरूरी है. अनुपस्थित होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. इससे गलत संदेश जाएगा, पीएम ने भी आपको इस बारे में कहा था.

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सूत्रों की मानें, तो शाह ने सांसदों से कहा कि ज़रा पीछे मुड़कर देखो कि कितने लोगों का टिकट काटकर आपको टिकट दिया गया था. शाह की फटकार के बाद संसदीय कार्य राज्यमंत्री एस एस अहलवालिया ने सभी सांसदों को प्रेजेंटेशन देकर समझाया कि व्हिप क्या होती है. इसका संसदीय प्रणाली में क्या महत्व है.

क्या हुआ था राज्यसभा में?

सोमवार को राज्यसभा में यह स्थिति तब बनी जब पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाए जाने को लेकर केंद्रीय सामाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत 123वां संविधान संशोधन बिल पास कराना चाहते थे. बिल पर वोटिंग के दौरान करीब 4 घंटे तक बहस हुई. लेकिन वोटिंग के दौरान एनडीए के कई सांसदों के मौजूद नहीं होने से सरकार हार गई और विपक्ष का एक संशोधन पास हो गया.

दरअसल कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह, बी के हरिप्रसाद और हुसैन दलवाई ने इस बिल पर वोटिंग के दौरान यह संशोधन पेश किया था कि पिछड़ा वर्ग आयोग में सदस्यों की संख्या 3 से बढ़ाकर 5 की जाए. साथ ही उसमें एक महिला सदस्य और एक अल्पसंख्यक भी शामिल हो. इसके अलावा संशोधन में यह भी मांग की गई थी कि आयोग के सभी सदस्य पिछड़े वर्ग के ही हों.

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सरकार को विपक्ष का यह संशोधन मंजूर नहीं था. सरकार इसे खारिज करना चाहती थी. सदन में जब वोटिंग हुई तब सरकार के पांव तले जमीन खिसक गई, क्योंकि विपक्ष का यह संशोधन पास हो गया. विपक्ष के संशोधन के पक्ष में 75 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ सिर्फ 54 वोट मिले.

 

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