
अमित शाह के बेटे की कंपनी के टर्नओवर को लेकर एक खबर छपने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभूतपूर्व आक्रामकता दिखा रहे हैं. राहुल के सियासी वार इस बार पहले की तुलना में ज्यादा धारदार हैं. एक और बात राहुल के इन नए हमलों में खास है और वो है पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हमले के लिए इस्तेमाल शब्दों का चयन. खासकर राहुल गांधी का आज का ट्वीट देखकर तो यही कहा जा सकता है कि राहुल बीजेपी पर अब उसी के हथियार से वार करने की कोशिश कर रहे हैं.
ये नए राहुल गांधी हैं या यूं कहा जाए कि अमेरिका से लौटने के बाद ये राहुल गांधी का नया अवतार है . ये अवतार न सिर्फ पहले से ज्यादा मुखर है बल्कि उसकी भाषा लच्छेदार है, जो राजनीतिक मुहावरे भी गढ़ने लगा है. रविवार को जब अमित शाह के बेटे की कंपनी के टर्नओवर को लेकर खबर सामने आई तो राहुल ने ट्वीट किया कि 'आखिरकार हमें नोटबंदी का एकमात्र लाभार्थी मिल गया. यह आरबीआई, गरीब या किसान नहीं है. यह नोटबंदी के शाह-इन-शाह हैं. जय अमित.'
साफ है कि बीजेपी अध्यक्ष को सपाट शब्दों में घेरने के बजाय राहुल ने भाषा कौशल और व्यंग्य का सहारा लिया जिसकी कि उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उनसे उम्मीद नहीं की जाती थी. रविवार को अमित शाह को निशाने पर लेने के बाद सोमवार को राहुल ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. उन्होंने ट्वीट किया 'मोदीजी, जय शाह- 'जादा' खा गया. आप चौकीदार थे या भागीदार? कुछ तो बोलिए.'
जय अमित शाह के बेटे का नाम है और शाहजादा लिखकर राहुल गांधी ने बीजेपी खासकर पीएम मोदी को उनके वे शब्द याद दिला दिए जिसमें मोदी राहुल को शहजादे कहकर उनपर हमला बोला करते थे. यानी पीएम मोदी के अपने ऊपर फेंके गए शब्दबाण को राहुल ने उन्हीं की ओर वापस कर दिया, वो भी पूरी रचनात्मकता के साथ.
राहुल गांधी इन दिनों गुजरात के दौरे पर हैं और चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. सोमवार को वे सरदार पटेल की जन्मस्थली नाडियाड में थे. यहां एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि पीएम खुद को चौकीदार बताते थे, अब कहां गया वो चौकीदार. राहुल के तेवरों से साफ है कि कांग्रेस अमित शाह के बेटे की कंपनी का मुद्दा गुजरात चुनाव में जमकर भुनाएगी.
रविवार को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस मुद्दे पर सबसे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले की जांच कराने की मांग की थी. सोमवार को आनंद शर्मा ने मोर्चा संभाला और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का इस्तीफा मांगा.
कहा जाता है कि राजनीति धारणाओं का खेल है. यहां तथ्यों से ज्यादा धारणा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. कांग्रेस जय शाह की कंपनी के मामले को बीजेपी के खिलाफ वैसे ही इस्तेमाल करना चाहती है, जैसा कि बीजेपी ने हरियाणा चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा के मामले को लेकर किया था. सियासी गलियारों में रॉबर्ट वाड्रा के मामले को लेकर खूब हल्ला रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के छुटभैये नेता तक ने रॉबर्ट वाड्रा के जमीन विवाद को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया. वाड्रा के खिलाफ जनता में जो धारणा बनी उसका असर चुनावी नतीजों में साफ देखा जा सकता है. कांग्रेस और राहुल गांधी बीजेपी के इसी फॉर्मूले को उसके खिलाफ इस्तेमाल करने की रणनीति पर चल रहे हैं.