
2019 के चुनावी महाकुंभ से ठीक पहले चार राज्यों में होने जा रहे सियासी अर्धकुंभ के लिए राजनीतिक दलों ने जान फूंक रखी है. इस साल के अंत तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीगढ़ और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसके मद्देनजर इन राज्यों में चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है. राजस्थान में भी दोनों प्रमुख दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है. बीजेपी के लिए जहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने स्वयं मोर्चा संभाल रखा है, वहीं कांग्रेस के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जनता के बीच जा रहे हैं.
राष्ट्रीय नेताओं में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह भी राजस्थान के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं और नरेंद्र मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जनता के बीच रख रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार की रेस में शाह से पिछलड़ते नजर आ रहे हैं. दरअसल, अब तक अमित शाह राज्य के 7 में से 6 संभागों का दौरा कर चुके हैं, जबकि राहुल गांधी पिछले दो महीनों में महज दो बार ही राजस्थान पहुंचे हैं.
जयपुर संभाग से शुरू की यात्रा
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहांत के बाद अमित शाह ने 9 सितंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक ली और उसके बाद 11 सितंबर को वह राजस्थान के दौरे पर पहुंच गए थे. जयपुर में प्रबुद्ध वर्ग के सम्मेलन को संबोधित करने के अलावा उन्होंने जनप्रतिनिधि सम्मेलन में भी शिरकत की. इसके अलावा उन्होंने शहरी जनप्रतिनिधि सम्मेलन, प्रदेश सहकारिता जनप्रतिनिधि सम्मेलन और शक्ति केंद्र सम्मेलनों को संबोधित किया. जयपुर प्रवास के दौरान वह मोती डूंगरी गणेश मंदिर भी गए.
अमित शाह ने 16 सितंबर को जोधपुर संभाग के पाली में ओबीसी सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी सभी वर्गों की पार्टी है. जोधपुर संभाग में उन्होंने युवा सम्मेलन और शक्ति केंद्र सम्मेलन भी संबोधित किया.
जातीय समीकरण पर फोकस करते हुए जहां अमित शाह ने जनसभाएं कीं, तो वहीं पार्टी और संगठन की रणनीति पर पूरा फोकस किया. उदयपुर संभाग दौरे पर उन्होंने 18 सितंबर को सोशल मीडिया वॉलंटियर्स को जीत का मंत्र दिया. इसी दिन उन्होंने अजमेर संभाग के नागौर जिले में किसान सम्मेलन और शक्ति केंद्र सम्मेलन को संबोधित किया.
भरतपुर की गंगापुर सिटी में अमित शाह 22 सिंतबर को पहुंचे जहां उन्होंने शक्ति केंद्र सम्मेलन को संबोधित किया. इसी दिन उन्होंने कोटा में भी एक सम्मेलन किया. 26 सितंबर को उन्होंने जयपुर में बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया और इस दौरान उनके साथ लंबे वक्त बाद मंच पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी नजर आईं. इससे पहले 4 सितंबर को अमित शाह ने राजसमंद में वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. अब गुरुवार (4 अक्टूबर) को बीकानेर में दलित सम्मेलन के साथ अमित शाह का सभी संभागों का दौरा पूरा हो जाएगा.
राहुल गांधी का राजस्थान दौरा
एक तरफ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जहां पूरे सितंबर महीने राजस्थान पर फोकस किया, वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी पूरे महीने में सिर्फ एक बार ही वहां जा पाए. राहुल महीने की आखिरी तारीख 20 सितंबर को डूंगरपुर जिले के सागवड़ा पहुंचे जहां उन्होंने कांग्रेस की संकल्प महा रैली को संबोधित किया.
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने 11 अगस्त को जयपुर में रोड शो कर आधिकारिक तौर पर चुनाव प्रचार का आगाज किया था. जिसमें उन्होंने करीब 13 किलोमीटर लंबा रोड शो करने के बाद जयपुर के रामलीला मैदान में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. हालांकि, इस महीने राहुल गांधी का एक और दौरा है, जिसके तहत वो बीकानेर जाएंगे.
सचिन पायलट-अशोक गहलोत बहा रहे पसीना
दो महीने बाद होने जा रहे चुनाव से पहले राजस्थान में राहुल गांधी भले ही दो बार गए हों, लेकिन कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता जमकर पसीना बहा रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और युवा नेता सचिन पायलट पार्टी के अनुभवी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मिलकर जनता के बीच जा रहे हैं और संगठन में भी जान फूंक रहे हैं. हालांकि, दूसरी तरफ वसुंधरा राजे ने बतौर क्षेत्रीय नेता चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है और वह अगस्त से राजस्थान गौरव यात्रा निकाल रही हैं. इस यात्रा के तहत वसुंधरा राजे सभी संभाग में जा चुकी हैं और 6 सितंबर को अजमेर में उनकी यह यात्रा समाप्त हो जाएगी.
यानी प्रदेश स्तर पर देखा जाए तो कांग्रेस नेता सचिन पायलट अशोक गहलोत के साथ मिलकर बीजेपी और वसुंधरा राजे को मजबूत चुनौती दे रहे हैं, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षों की बात की जाए तो अमित शाह की तुलना में राहुल गांधी राजस्थान के लिए बहुत ही वक्त निकाल पाए हैं. ऐसा तब है कि जबकि वसुंधरा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का माहौल बनता दिखाई दे रहा है और इसे कांग्रेस के लिए कैश करने का मौका माना जा रहा है. इसके अलावा विधानसभा चुनाव के बाद ही लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज जाएगी और राजस्थान वही राज्य है, जहां से बीजेपी को सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.