
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के म्यांमार का आधिकारिक दौरा शुरू करने के दिन मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उनसे आग्रह किया कि वह रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. संगठन ने पीएम मोदी से यह आग्रह भी किया कि म्यांमार के नेतृत्व पर दबाव डालें कि हिंसा प्रभावित रखाइन प्रांत के रोहिंग्या को सहायता पहुंचाई जाए.
मानवाधिकार संगठन ने यह भी कहा कि मोदी सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जतानी चाहिए न कि उनके प्रत्यर्पण की धमकी देनी चाहिए.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी को म्यांमार के अधिकारियों पर दबाव बनाना चाहिए कि वे जरूरतमंद लोगों को सहायता पहुंचाएं. हताश लोगों को जीवन रक्षक सहयोग से इंकार करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता. असल में एमनेस्टी का आग्रह केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के इस बयान के बाद आया है कि भारत में आने वाले रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं और उन्हें प्रत्यर्पित किया जाएगा.
दुनिया न दे प्रवचन
भारत ने साफ किया है कि वह म्यांमार से अवैध तरीके से घुस आए रोहिंग्या मुस्लिमों की पनाहगाह नहीं बनेगा. केंद्रीय राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि रोहिंग्या अवैध आप्रवासी हैं और उनको उनके मुल्क भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी को भी इस मुद्दे पर भारत को प्रवचन नहीं देना चाहिए, क्योंकि भारत ने दुनिया में अधिकतम संख्या में शरणार्थियों को अपने यहां पनाह दे रखी है.
रिजिजू ने कहा कि केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को रोहिंग्या लोगों को देश से निकालने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि भारत में 40,000 के करीब रोहिंग्या शरणार्थी हैं. सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में भारत में अवैध रूप से म्यांमार से आए रोहिंग्या को सतत प्रक्रिया के तहत धीरे-धीरे वापस भेजा जाएगा.
जानकारी के मुताबिक ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान इस वक्त जम्मू-कश्मीर , हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रहते हैं.