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पंजाब के अमृतसर जिले के राजसांसी इलाके में रविवार को निरंकारी सत्संग में ग्रेनेड अटैक हुआ. इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 अन्य घायल हुए हैं.
यह ग्रेनेड हमला अमृतसर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित आदिलवाल गांव में निरंकारी पंथ के सत्संग भवन में हुआ है. इस हमले के पीछे हुई साजिश की परतें खुलती जा रही हैं. पंजाब पुलिस के सूत्रों की मानें तो हमले के पीछे खालिस्तानी समर्थकों का हाथ है, जिन्होंने लोकल लड़कों को बहकाकर इस हमले को अंजाम दिया. इसमें आईएसआई कनेक्शन भी सामने आ रहा है.
ऐसा पहली बार नहीं है, जब खालिस्तानी समर्थकों का नाम इस तरह के हमले में आया है. 40 साल पहले भी सिख समुदाय से जुड़े कुछ समूहों ने अमृतसर में निरंकारी भवन को निशाना बनाया था. 13 अप्रैल, 1978 को बैसाखी के मौके पर ये हमला किया गया था, जिसके बाद अकाली और निरंकारी समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 13 अकाली मारे गए थे.
इस खूनी संघर्ष के विरोध में जब अकालियों ने प्रदर्शन किया था तो उस दौरान आतंकी जरनैल सिंह भिडंरावाला इस मोर्चे में शामिल हुआ था. माना जाता है कि इस घटना के बाद से ही पंजाब में आतंकवाद ने पैर पसारने शुरू किए थे.
ताजा हमला रविवार (18 नवंबर) को उस वक्त हुआ, जब लोग प्रार्थना के लिए एकत्र हुए थे. वहां करीब 200 लोग मौजूद थे. देश-विदेश में निरंकारी अनुयायियों की संख्या लाखों में है. इसका मुख्यालय दिल्ली में है.