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अमृतसर: 20 दिन पहले कर्मचारियों के लिए रुक गई थी ट्रेन, आम लोगों को रौंद दिया

शुक्रवार शाम को चौड़ा बाजार के जोड़ा फाटक इलाके में रेलवे पटरी के नजदीक रावण का पुतला जलाया जा रहा था. उसी दौरान जालंधर से अमृतसर जा रही ट्रेन 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से आई और लोगों को काटते हुए निकल गई. ट्रेन को वहां से गुजरने में महज 10 से 15 सेकेंड लगे.

फोटो- ANI फोटो- ANI
जावेद अख़्तर/सतेंदर चौहान/निशांत चतुर्वेदी
  • अमृतसर,
  • 20 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST

अमृतसर का रेल हादसा कई परिवारों को गम दे गया है. ट्रेन की चपेट में आने से रावण दहन देखने गए 60 लोगों की सांसें थम गईं. इस हादसे का जिम्मेदार कौन है, इस पर अभी बहस चल रही है. स्थानीय प्रशासन का दावा है कि कार्यक्रम की इजाजत नहीं ली गई, तो वहीं रेलवे भी अपना पल्ला झाड़ रहा है. लेकिन चश्मदीदों के बयान कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

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एक चश्मदीद हैप्पी ने आजतक को बताया कि ट्रैक पर 20 दिन पहले सरकारी कर्मचारी काम कर रहे थे, उस दौरान जब ट्रेन वहां से गुजरी तो उसकी स्पीड कम की गई. हैप्पी के मुताबिक, उस दौरान ट्रेन धीरे-धीरे आगे बढ़ी और कोई हादसा नहीं हुआ.

हैप्पी ने ड्राइवर पर सवाल उठाते हुए कहा कि ड्राइवर को अपने सरकारी कर्मचारी नजर आ गए थे, लेकिन रावण दहन के दौरान मौजूद 5 हजार लोग उसे दिखाई नहीं दिए.

बता दें कि रेलवे इस पूरे मामले में ड्राइवर को क्लीन चिट दे रहा है. डीआरएम ने आजतक से बातचीत में बताया कि ड्राइवर ने स्पीड कम की थी. उनके मुताबिक, ट्रेन 91 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर चल रही थी, लेकिन बाद में उसे कम किया गया और स्पीड 68 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई, लेकिन वो ट्रेन रोक नहीं पाया और यह हादसा हो गया.

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इसलिए नहीं रोकी ट्रेन

डीआरएम ने बताया कि हादसे के बाद ट्रेन की स्पीड 10 किमी प्रति घंटे तक आ गई. इसके बाद गार्ड ने ड्राइवर से कहा कि लोग पथराव कर रहे हैं और आप रुकिए नहीं. इसके बाद ड्राइवर ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए अमृतसर जाकर ट्रेन रोकी.बता दें कि ये भी कहा जा रहा है कि वहां काफी धुंआ था, इसलिए उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया.

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