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AMU का अल्पसंख्यक दर्जा हमारे लिए जीने-मरने का सवाल- कुलपति जमीरुद्दीन शाह

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति जमीरुद्दीन शाह एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हैं. आज तक के रिपोर्टर ने उनसे यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे, तीन तलाक और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर कई चुभते सवाल पूछे. पढ़ें उनके जवाब...

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अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह अपनी बेबाकी के लिए मशहूर रहे हैं. वे देश के भीतर चलने वाले धार्मिक, गैरधार्मिक और सियासी मुद्दों पर खुल कर अपनी राय रखते रहे हैं.

आज तक से खास बातचीत में उन्होंने भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे और तीन तलाक जैसे सियासी मुद्दों पर अपनी राय खुल कर रखी है. आप भी पढ़ें आज तक से उनकी खास बातचीत...

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सवाल: आप सेना में उच्च पद पर रहे हैं, सर्जिकल स्ट्राइक पर आप का क्या कहना है, क्या पहले भी होते रहे हैं इस तरह के स्ट्राइक ?
जवाब: मैं ज्यादा उत्तर-पूर्व में पोस्टेड रहा हूं स्ट्राइक पहले भी खूब होते रहे हैं. हमनें 1982 में बर्मा में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. नागा होस्टाइल्स पर स्ट्राइक किया था. मैं खुद इसमें शामिल था. उन्होंने हमारी एक पोस्ट पर हमला किया था. फिर हमनें स्ट्राइक की थी. हमारे ब्रिगेड कमांडर जनरल कुकरेती थे. हम चुपचाप गए. जो हमें करना था किया और वापस आ गए. किसी को पता नहीं चला. सर्जिकल स्ट्राइक ऐसे ही होने चाहिए. इसको पब्लिसिटी नहीं देनी चाहिए. क्योंकि जो सैनिक इसमें कमिटेड होते हैं उनकी जान का खतरा भी होता है. सर्जिकल स्ट्राइक बेहद ज़रूरी है लेकिन इसको बिल्कुल पब्लिसिटी नहीं देना चाहिए. खामोशी से होना चाहिए.

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सवाल: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर आपका क्या कहना है? मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
जवाब: ये मुद्दा हिंदुस्तान के मुसलामानों के सेंटीमेंट्स से जुड़ा है. ये हमारे लिए जीने-मरने का मामला है. अगर इसका अल्पसंख्यक दर्जा छीन लिया गया तो उनको बहुत सदमा पहुंचेगा. मामला कोर्ट में लंबित है. मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. हम सही तरीके से अपना तर्क कोर्ट के सामने देंगे. हमें पूरा यकीन है कि न्याय होगा.

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सवाल: तीन तलाक और यूनिफार्म सिविल कोड पर आप क्या सोचते हैं?
जवाब: मजहब के मामले में किसी को दखल नहीं देना चाहिए. जो बातें सही नहीं हैं वो अपने आप समय के साथ खत्म हो जाएंगी. बहु विवाह की इजाजत है लेकिन कितने लोग ऐसा करते हैं? देश के कई राज्यों में गैर-मुस्लिम भी एक से ज्यादा शादियां करते हैं. एक गांव में और एक शहर में. कई अभिनेता एक रात के लिए धर्म बदलते हैं. किसी जमाने में प्लुरल मैरिज की जरूरत थी वो जमाना अब खत्म हो गया. मुस्लिम समाज से खुद ऐसी चीजें खत्म हो जाएंगी जो अप्रासंगिक होंगी. अगर जबरदस्ती की जायेगी तो इसका विरोध होगा.

सवाल: क्या ये मुद्दे राजनीतिक हित  साधने के लिए उठाये जा रहे हैं?
जवाब: इस पर मैं कमेंट नहीं करूंगा. पर मुस्लिम समाज खुद सुधार करेगा. सुधार धीरे-धीरे हो रहा है.

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सवाल: क्या भारत में यूनिफार्म सिविल कोड मुमकिन है?
जवाब: अगर जबरदस्ती होगी तो मुस्लिम समाज के साथ और भी समाज के लोग इसका विरोध करेंगे. Government should govern and not gobble in the religious affairs of others.

सवाल: क्या कुछ विकास हुआ आपके कार्यकाल के दौरान यूनिवर्सिटी में? क्या प्लान्स हैं?
जवाब: अभी हम देश की नंबर 2 यूनिवर्सिटी हैं. इसे नंबर एक बनाना है. इसे रिसर्च में और बेहतर बनाना है. इसीलिए हमनें नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक तकाकी कजीता को दीक्षांत समारोह में डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि दी है. इस जुड़ाव से यूनिवर्सिटी के रिसर्च में मजबूती आएगी.
यूनिवर्सिटी में मेरे कार्यकाल के दौरान बहुत काम हुआ है. कई ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को सही करवाया. स्ट्रेचीहॉल, केनेडी हॉल, जामा मस्जिद इनमें प्रमुख हैं. यूनिवर्सिटी बिलकुल कैंटोनमेंट एरिया की तरह साफ-सुथरी रहती है. इसके अलावा यहां पूरी एकेडेमिक फ्रीडम है.

सवाल: आपका कार्यकाल कुछ महीनों बाद खत्म हो जाएगा. कौन आना चाहिए आपके बाद एक फौजी या अकैडमिशियन ?
जवाब: यहां बहुत सारी प्रॉब्लम्स हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था का असर है. बदमाशी, कट्टा कल्चर. शुक्र है ये चीजें यूनिवर्सिटी तक नहीं पहुंच पाईं. जो भी आये, चाहे वो फौजी हो या अकैडमिशियन, वो मजबूत फैसले लेने वाला हो. इन चीजों से यूनिवर्सिटी को बचा सके. यहां के लोकल प्रभाव से अलग हो. क्योंकि एक बार अगर वो अंदरूनी विवादों का शिकार हो गया तो फिर वो काम नहीं कर पायेगा.

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