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आइपीएस अफसर बन गया ‘पैडमैन’

पुलिस की प्रचलित छवि के उलट बरेली की पुलिस लाइन महिला स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण की मिसाल कायम करने जा रही है. इतना ही नहीं यह कहानी पुलिस के संवेदनशील चेहरे की भी है

फोटोः आशीष मिश्र फोटोः आशीष मिश्र
आशीष मिश्र
  • लखनऊ,
  • 06 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

बरेली की पुलिस लाइन महिला स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण की मिसाल कायम करने जा रही है. इतना ही नहीं यह कहानी पुलिस के संवेदनशील चेहरे की भी है. उत्तर प्रदेश में बरेली की पुलिस लाइन पहली है जहां पर ‘सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट’ की स्थापना की गई है. अभी यह यूनिट परीक्षण के दौर से गुजर रही है जिसकी आधिकारिक शुरुआत 14 जनवरी से होगी.

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एक दिन में पांच हजार सेनेटरी पैड का उत्पादन करने वाली यह यूनिट बाजार से दस गुने से भी ज्यादा कम दाम यानी दो रुपए से भी काफी कम कीमत में महिलाओं को सेनेटरी पैड मुहैया कराएगी. 

खास बात यह है कि इस यूनिट का पूरा काम केवल महिलाओं के हाथों में ही होगा. 

इस अनोखे प्रयोग के सूत्रधार बरेली रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआइजी) राजेश पांडेय हैं. राजेश पांडेय वर्ष 1986 बैच के प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी हैं जो प्रमोशन पाकर वर्ष 2003 बैच के आइपीएस बने हैं. यूपी में ‘स्पेशल टास्क फोर्स’ (एसटीएफ), ‘एंटी टेररिस्ट स्क्वायड’ (एटीएस) के संस्थापक सदस्य रहे पांडेय मेरठ, अलीगढ़, लखनऊ, सहारनपुर, गोंडा, रायबरेली जैसे जिलों में पुलिस विभाग की कमान संभाल चुके हैं. इन्हें प्रेसीडेंट के चार गैलेंटरी मेडल और एक ‘यूनाइटेड नेशंस पीस कीपिंग मेडल’ मिला है. इन्हें मेधावी कार्य के लिए भी एक राष्ट्रपति पदक मिल चुका है.

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बरेली के पुलिस लाइन में सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट शुरू करने की नींव जिले में संचालित पुलिस मार्डन स्कूल में पड़ी. बरेली के पुलिस मार्डन स्कूल में करीब 15 सौ बच्चे पढ़ते हैं जिनमें छह सौ लड़कियां हैं. यह स्कूल तो बहुत प्रतिष्ठित है लेकिन यहां शौचालय की हालत बड़ी खराब थी. बरेली के पुलिस अधीक्षक (यातायात) ने राजेश पांडेय को बताया कि इंडियन ऑयल के अधिकारी कंपनी के ‘सीएसआर’ फंड से पुलिस मॉर्डन स्कूल में लडक़े और लड़कियों के लिए ‘मार्डन टायलेट’ बनाने को तैयार हैं. सितंबर के महीने में यह टायलेट बनकर तैयार हो गया जिसका उद्घाटन करने राजेश पांडेय जिले के कई अन्य अधिकारियों के साथ पहुंचे. 

स्कूल की प्रधानाचार्य और अन्य शिक्षकों ने बातचीत में पांडेय अनुरोध किया कि वे बच्चियों के लिए बने मार्डन टायलेट में एक सेनेटरी वेंडिंग मशीन भी रखवा दें. जब सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन के बारे में बाजार में पता किया गया तो मालूम चला कि वेंडिंग मशीन में बाजार में ही मिलने वाले सेनेटरी पैड रखे जाते हैं जिनमें दस रुपए के सिक्के डालने पर उससे पैड अपने आप निकल आता है. 

पांडेय बताते हैं ‘चूंकि स्कूल में बच्चों को पैसे लेकर आने की मनाही होती है ऐसे में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाना अपना मकसद पूरा नहीं कर सकता था.’ 

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समस्या यह भी थी कि अगर सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाते हैं तो उसे एक से ज्यादा जगहों पर लगानी पड़ती ताकि सभी लड़कियों को इसका लाभ मिल सके. बरेली महिला पुलिस कांस्टेबल की ट्रेनिंग का भी सेंटर है जहां पर करीब 300 महिला कांस्टेबल मौजूद रहती हैं. पांडेय बताते हैं ‘वेंडिंग मशीन एक ओर जहां काफी महंगा सौदा है वहीं दूसरी ओर इसे हर जगह आसानी से नहीं लगाया जा सकता. इसके बाद मैंने सोचा कि क्यों न सेनेटरी मेनुफैक्चरिंग यूनिट ही बरेली में स्थापित की जाए. इसके लिए मैंने अपने आरआइ को दिल्ली में सर्वे करने के लिए भेजा.’ 

कई मेनुफैक्चरिंग यूनिट में सर्वे करने के बाद बरेली में ‘सेमी ऑटोमेटिक सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट’ लगाने का निर्णय लिया गया. इसके लिए करीब सात लाख रुपए खर्च होने थे. 

राजेश पांडेय ने इंडियन ऑयल के अधिकारियों से कंपनी के ‘सीएसआर’ फंड से ‘सेमी ऑटोमेटिक सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट’ लगाने का निवेदन किया. अधिकारी राजी हो गए. करीब ढाई महीने के भीतर सेमी ऑटोमेटिक सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट लगाने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं. 

बरेली पुलिस लाइन की एक पुरानी बिल्डिंग का जीर्णोद्घार करके वहां पर सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना की गई. इस यूनिट से बनने वाले सेनेटरी पैड का बरेली में तैनात डिप्टी एसपी सीमा यादव के जरिए शहरी और ग्रामीण महिलाओं से परीक्षण करवाया गया. इन महिलाओं से मिले सुझावों के अनुरूप सेनेटरी पैड में परिवर्तन कर उसे बाजार में मिलने वाले पैड से बेहतर बनाया गया. 

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पांडेय बताते हैं ‘बरेली रेंज में महिला पुलिस फॉलोवर की संख्या भी काफी अधिक है जिन्हें बंगलों या अन्य जगहों पर तैनात करने में असुविधा होती है. ये महिला फॉलोवर ज्यादातर वो हैं जिन्हें मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिली है. ऐसी महिला फॉलोवर की संख्या बरेली में 18 हैं.’ सेनेटरी पैड मेनुफैक्चरिंग यूनिट का संचालन पूरी तरह से इन्हीं महिला फॉलोवर के जिम्मे होगा. एक यूनिट एक दिन में पांच हजार सेनेटरी पैड का उत्पादन करेगी. पांडेय बताते हैं ‘सेनेटरी पैड के निर्माण में लेबर का कोई खर्चा नहीं हैं क्योंकि इसका उत्पादन सरकारी महिला पुलिस फॉलोवर कर रही हैं. जमीन और भवन भी सरकारी है अत: किराए के रूप में भी कोई खर्च नहीं होगा.’ 

इस यूनिट से बनने वाले एक सेनेटरी पैड का खर्च एक रुपए दस पैसे के करीब आएगा और जीएसटी को जोडक़र यह डेढ से पौने दो रुपए के मूल्य में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगा. पांडेय बताते हैं ‘बाजार से बेहद कम दाम पर सेनेटरी पैड मुहैया होने के कारण महिलाओं के कल्याण के काम कर रहे कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने इसे पुलिस लाइन से खरीदकर फ्री में बंटवाने का प्रस्ताव रखा है.’ यह सेनेटरी पैड केवल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि पुलिस की छवि निखारने में भी बड़ी भूमिका निभाएगा.

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