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गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने बुधवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल ओ पी कोहली को सौंप दिया. अहमदाबाद में बीजेपी दफ्तर में चली बैठकों के दौर के बाद आनंदीबेन के अलावा बीजेपी प्रभारी दिनेश शर्मा और वी सतीष राजभवन पहुंचे, जहां सीएम ने अपना इस्तीफा दिया.
सोशल मीडिया के जरिये अपने इस्तीफे की पेशकश करने वाली आनंदीबेन पटेल का इस्तीफा बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में मंजूर किया गया. इसके बाद शाम पांच बजे आनंदीबेन गवर्नर को अपना इस्तीफा देने पहुंची. हालांकि, जब तक नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं होती है, आनंदीबेन कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर बनी रहेंगी.
बीजेपी विधायक दल की बैठक गुरुवार को
आनंदीबेन के इस्तीफे के बाद अब गुरुवार सुबह 9 बजे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अहमदाबाद पहुंच रहे हैं. शाह बीजेपी विधायक दल की मीटिंग में हिस्सा लेंगे. बैठक में वी सतीष और दिनेश शर्मा समेत बीजेपी के मुख्यमंत्री के संभवित दावेदार भी मौजूद रहेंगे. शाह इस मीटिंग में नारणपुरा के विधायक के तौर हिस्सा लेंगे.
रुपानी ने खुद को किया रेस के बहार
बीजेपी के गुजरात के मुख्यमंत्री की रेस में सब से आगे चल रहे अमित शाह खेमे के विजय रुपानी ने खुद को इस रेस से बाहर होने की बात कही है. रुपानी इस वक्त गुजरात में बतौर अध्यक्ष संगठन का काम देख रहे हैं. उन्होंने कहा, मैं संगठन का आदमी हूं और मेरी दिलचस्पी भी संगठन में है. पार्टी ने मुझे सगंठन कि जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे मैं अच्छी तरह निभा रहा हूं. पार्टी से मेरी गुजारिश है कि मुझे यही काम दिया जाए. बाकी आलाकमान जो फैसला करेगा, वो मंजूर होगा.'
नितिन पटेल और सौरभ पटेल अब रेस में
सरकार में स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल और वित्त मंत्री सौरभ पटेल अब सीएम पद की रेस में माने जा रहे हैं. दरअसल, आज जब आनंदीबेन अपना इस्तीफा देने राज्यपाल के पास पहुंची तो नितिन पटेल भी उनके साथ मौजूद थे. जब नितिन पटेल से पूछा गया कि अगर आपको मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाए तो कैसा रहेगा? इस सवाल पर नितिन पटेल बिना जवाब दिये वहां से मुस्कुराते हुए चले गए.
सौरभ पटेल का नाम इसलिए भी आ रहा है कि जनवरी 2017 में गुजरात में वाइब्रैंट गुजरात समिट होने वाला है. और सौरभ पटेल एक ऐसी कॉर्पोरेट पर्सनैलिटी हैं जिनके रिश्ते अंबानी परिवार के साथ जुड़े हुए हैं. इसके अलावा वर्षों से इंडस्ट्रीज मिनिस्टर रहने की वजह से कॉर्पोरेट के साथ उनके काफी अच्छे रिश्ते भी हैं.
RSS से आ सकता है नया चहेरा
एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि हरियाणा की तरह यहां भी आरएसएस की ओर से पार्टी को मजबूत करने वाला चेहरा लाया जा सकता है. ऐसे में भीखू दलसानिया के सीएम बनने की भी संभावनाएं बढ़ गई हैं. दरअसल भीखू दलसानिया खुद कड़वा पटेल समाज से आते हैं. पाटीदार होने की वजह से वो पाटीदारों के मुद्दे को भी अच्छी तरह सुलझा सकते हैं. संगठन में भी उनकी पकड़ काफी मजबूत है. नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भीखू दलसानिया बीजेपी और आरएसएस के बीच की कड़ी के तौर पर काम करते थे. वैसे में भीखू दलसानिया साफ छवि और संगठन में मजबूत पकड़ की वजह से उनके नाम की संभावना भी जताई जा रही है.
खैर, गुजरात के नए बॉस के तौर पर नाम चाहे किसी का भी आए लेकिन इस पर मुहर पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ही तय करेंगे. इसका ऐलान भी अमित शाह के जरिये एक या दो दिन में किया जाएगा.