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'तीन राजधानी फॉर्मूले' पर जगन सरकार को झटका, TDP ने रोका बिल

CM जगन मोहन रेड्डी का ड्रीम प्रोजेक्ट 'तीन राजधानी फॉर्मूला' बिल राज्य विधानपरिषद में गिर गया है. अब इस बिल को फिर से राज्य की विधानसभा में भेजा जाएगा.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (फइल-PTI) आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (फइल-PTI)
आशीष पांडेय
  • हैदराबाद,
  • 22 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

  • कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही टीडीपी
  • TDP की सलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग

आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार को झटका लगा है. मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'तीन राजधानी फॉर्मूले' के प्रस्ताव को विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने विधानपरिषद में रोक दिया है.

राज्य विधानपरिषद में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के पास बहुमत है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस के 58 सदस्यीय विधानपरिषद में सिर्फ 9 एमएलसी हैं.

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तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) तीन राजधानी फॉर्मूले को अब सलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रही है. इसके साथ ही पूरे मामले को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है.

इस बीच अमरावती के आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी का दर्जा खोने से नाराज तेलुगू देशम पार्टी के नेता दोक्का माणिक्य वरप्रसाद राव ने कल मंगलवार को राज्य विधानपरिषद से इस्तीफा दे दिया. पूर्व मंत्री ने अपना इस्तीफा टीडीपी प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को भेज दिया.

माणिक्य वरप्रसाद राव ने अपने इस्तीफे में लिखा कि उनका इस्तीफा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार द्वारा राज्य में 3 राजधानियों को विकसित करने के कदम के विरोध में है. उन्होंने कहा कि उन्हें अमरावती के राज्य की राजधानी के तौर पर दर्जा खोने का दुख है, क्योंकि प्रमुख कार्यों को विशाखापट्टनम और कुरनूल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

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फिर से विधानसभा जाएगा बिल

माणिक्य वरप्रसाद ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया जब विधानपरिषद ने राज्य की 3 राजधानियों को बनाने के लिए सोमवार रात राज्य विधानसभा द्वारा पारित 2 विधेयकों पर चर्चा करने वाला था. उच्च सदन में बहुमत रखने वाली टीडीपी ने सभी सदस्यों को उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था.

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58 सदस्यीय विधानपरिषद में टीडीपी के 34 सदस्य हैं, जबकि वाईएसआरसीपी के केवल 9 सदस्य हैं. अगर परिषद दोनों विधेयकों को खारिज कर देती है, तो उन्हें वापस विधानसभा में भेजा जाएगा. हालांकि नियमों के अनुसार, विधानपरिषद दूसरी बार विधेयकों को अस्वीकार नहीं कर सकती है.

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