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एंड्रॉयड यूजर्स को फिर से खतरा, गूगल प्ले स्टोर में मिला मैलवेयर

यह पहला मौका नहीं है जब एंड्रॉयड के गूगल प्ले स्टोर के जरिए मैलवेयर वाले ऐप्स ने एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स अपना निशाना बनाया है. हालांकि गूगल ने हाल ही में प्ले स्टोर की प्रोटेक्शन के लिए रोडमैप तैयार किया था. इसके तहत ऐप्स को स्कैनिंग करना प्ले प्रोटेक्ट की शुरुआत की गई.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST

एक बार फिर से एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए खतरे की घंटी है. क्योंकि सिक्योरिटी फर्म चेक प्वॉइंट का दावा है गूगल प्ले स्टोर पर 50 से ज्यादा हानिकारक ऐप हैं. ये ऐप फर्जी सर्विसों के लिए कस्टमर्स से पैसे भी लेते हैं.

हैरान करने वाली बात ये है कि इन फर्जी ऐप्स को लोगों ने बढ़ चढ़ कर डाउनलोड किया है. यहां तक की प्ले स्टोर पर ये ऐप्स 10 लाख से ज्यादा डाउनलोड किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इस मैलवेयर वाले ऐप ने अभी तक 5,000 डिवाइस को अपना निशाना बनाया है.

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यह पहला मौका नहीं है जब एंड्रॉयड के गूगल प्ले स्टोर के जरिए मैलवेयर वाले ऐप्स ने एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स अपना निशाना बनाया है. हालांकि गूगल ने हाल ही में प्ले स्टोर की प्रोटेक्शन के लिए रोडमैप तैयार किया था. इसके तहत ऐप्स को स्कैनिंग करना प्ले प्रोटेक्ट की शुरुआत की गई.

इस एंड्रॉयड मैलवेयर को Expensive Wall कहा जा रहा है और यह यूजर को फ्रॉड एसएमएस भेजता है . बिना यूजर्स की परमिशन के यह ऐप उनसे फर्जी सर्विसों के लिए पैसों की भी मांग करता है. दरअसल मैलवेयर वॉलपेपर्स ऐप में भी पाया जाता है. एक बार यह ऐप आपके मोबाइल में डाउनलोड हो गए तो सबसे पहले ये यूजर्स से कुछ परमिशन मांगते हैं. आम तौर पर यूजर्स इन परमिशन के चेक बॉक्स पर क्लिक कर देते हैं. क्योंकि लगभग सभी ऐप यूजर्स से इस तरह की परमिशन की मांग करता है.

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यह मैलवेय वाला ऐप यूजर से सिर्फ उन परमिशन की मांग करता है जिससे वो अपने फ्रॉड सर्वर से कनेक्ट कर सके. इतना ही नहीं इन परमिशन में एसएमस भेजने और रिसीव करने से लेकर संवेदनशील जानकारियां चुराना भी शामिल है. बिना यूजर को बताए ये मैलवेयर प्रीमियम एसएमएस सेंड करता है और बिना बताए पेड सर्विस के लिए रजिस्टर कर देता है.

गूगल को जैसे ही इसकी जानकारी मिल कंपनी ने इन ऐप्स को प्ले स्टोर से हटा लिया है . हालांकि चेक प्वॉइंट ने कहा है कि भले ही गूगल प्ले स्टोर से ये ऐप हटा लिए गए हैं, लेकिन फिर भी ये तब तक उन स्मार्टफोन्स को नुकसान पहुंचाते रहेंगे जब तक यूजर्स इसे मैनुअली डिलीट न करें.

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