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SC से केंद्र सरकार को झटका, अनिल अंबानी की Rcom को देने होंगे 104 करोड़

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस को 104 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया है.

आरकॉम को 104 करोड़ वापस करने का आदेश आरकॉम को 104 करोड़ वापस करने का आदेश
aajtak.in
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  • 07 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को किया खारिज
  • टीडीसैट के खिलाफ केंद्र सरकार ने याचिका दायर की थी

अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (Rcom) को सुप्रीम कोर्ट से अच्‍छी खबर मिली है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए रिलायंस कम्युनिकेशंस को 104 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया है.

क्‍या है मामला

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यह मामला स्‍पेक्‍ट्रम के बकाये से जुड़ा हुआ है. दरअसल, केंद्र सरकार ने एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल (टीडीसैट) के आदेश को चुनौती दी गई थी. ट्रिब्यूनल ने आरकॉम के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार को 104 करोड़ रुपये देने को कहा था. अब केंद्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने खारिज करते हुए टिब्‍यूनल का फैसला बरकरार रखा है.

लगातार तीसरी अच्‍छी खबर

कर्ज से जूझ रहे अनिल अंबानी को बीते तीन महीनों के भीतर यह तीसरी अच्‍छी खबर मिली है. हाल ही में अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को दामोदर वैली कॉरपोरेशन यानी डीवीसी के खिलाफ 1,250 करोड़ रुपये के मध्यस्थता मुकदमा में जीत मिली है.

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बता दें कि रिलायंस इंफ्रा को पश्चिम बंगाल में डीवीसी की 1200 मेगावॉट की रघुनाथपुर ताप बिजली परियोजना का इंजीनियरिंग और निर्माण कॉन्‍ट्रैक्‍ट मिला था. लेकिन जमीन उपलब्ध न होने और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हुई थी. रिलायंस इंफ्रा ने प्रोजेक्ट को पूरा करने में मुश्किलों के कारण DVC से क्लेम देने की मांग की थी.

इससे पहले ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने अनिल अंबानी की आरकॉम के खिलाफ चीन के तीन बैंक- इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड, चाइना डेवेलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना की याचिका खारिज कर दी थी. यूके हाईकोर्ट ने अनिल अंबानी के उस पक्ष को स्वीकार किया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड द्वारा प्राप्त कॉरपोरेट कर्ज के लिए उनकी कथित गारंटी के संबंध में चीनी बैंकों का दावा मान्य नहीं हो सकता है.

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