
इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी महिला अधिकारी को पुरुषों की कड़ी सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल का सुपरिटेंडेंट बनाया गया हो. जी हां पुरुषों की तिहाड़ जेल में अंजु मंगला पहली महिला जेलर के रूप में नियुक्त की गई हैं. इस महिला सुपरिडेंट की खास बात ये है कि इन्हें खुद को 'जेलर' कहलाना पसंद नहीं है.
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स्वभाव से बेहद मिलनसार अधिकारी अंजु मंगला का मानना है कि जेलर शब्द एक 'कठोर' व्यक्ति की छवि पेश करता है और इसलिए उन्हें ये शब्द पसंद नहीं. अंजु इससे पूर्व महिलाओं की जेल की अधीक्षक के तौर पर सेवाएं दे चुकी हैं.
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उन्होंने कहा कि यह एक चुनौती है, लेकिन हमारे डीजी सुधीर यादव ने मेरे ऊपर भरोसा जताया और मैंने यह चुनौती स्वीकार की. मंगला 18 से 21 वर्ष के आयुवर्ग में करीब 800 कैदियों की देखरेख कर रही हैं.
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अंजु मंगला अपनी जेल को एक 'गुरुकुल' या एक 'छात्रावास' कहना पसंद हैं, जहां इन कैदियों को शिक्षा दी जाती है.
अुजु से पहले भी किरण बेदी और विमला मेहरा तिहाड़ जेल की महानिदेशक के तौर पर सेवाएं दे चुकी हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है, जब एक महिला को यहां पुरुषों की जेल का अधीक्षक नियुक्त किया गया है.