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DU में देश विराधी नारे: ATR नहीं देने पर कोर्ट ने क्राइम ब्रांच को लगाई फटकार

दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा के ज्वॉइंट कमिश्नर को 3 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई को एक विस्तृत रिपोर्ट दर्ज करनी होगी.

रामजस कॉलेज में लगे थे देश विरोधी नारे रामजस कॉलेज में लगे थे देश विरोधी नारे
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने रामजस कॉलेज में लगे देश विरोधी नारे मामले में 6 महीने बाद भी एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) न देने पर क्राइम ब्रांच को फटकार लगाई है. कोर्ट इस घटना पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही याचिका पर सुनवाई कर रहा था. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करने के लिए और समय मांगा है.

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दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा के ज्वॉइंट कमिश्नर को 3 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई को एक विस्तृत रिपोर्ट दर्ज करनी होगी. मजिस्ट्रेट ने कहा, मुझे शिकायतकर्ता की दलीलों में खूबी दिखती है कि पुलिस एटीआर दायर करने में विफल रही है और इसमें देरी की है. परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संबंधित संयुक्त पुलिस आयुक्त को निर्देशित किया जाता है कि मामले को देखें, जांच में तेजी लाएं, ताकि एटीआर को इस अदालत के समक्ष अगली तारीख पर या इससे पहले दायर किया जा सके.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में इस साल फरवरी को देश विरोधी नारों का एक वीडियो सामने आया था. इस वीडियो में लेफ्ट समर्थित छात्र संगठन के कार्यकर्ता कश्मीर और बस्तर को लेकर देश विरोधी नारेबाजी करते दिख रहे हैं. वहीं ABVP ने आरोप लगाया था कि 22 फरवरी को रामजस कॉलेज में देश विरोधी नारेबाजी करने वाले लोग बाहर से आए अराजक तत्व थे.

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पुलिस ने इस मामले में अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि उसने मामले की जांच को लेकर 62 गवाहों से पूछताछ की है. जिसमें छात्र और पुलिस कर्मचारी शामिल हैं. अभी मामले में एफआइआर दर्ज नहीं हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडिया और अन्य चश्मदीदों द्वारा पेश की गई वीडियो रिकॉर्डिंग और शिकायकर्ता विवेक गर्ग द्वारा दी गई एक सीडी की भी जांच समिति ने की है. इसमें में कहा गया है कि जांच अंतिम चरण में है और इसे पूरा करने के लिए वक्त मांगा.

शिकायतकर्ता और वकील गर्ग ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कई मौकों के बावजूद कोई एटीआर दायर नहीं की गई और पुलिस के एटीआर दायर नहीं करने पर अदालत को जांच एजेंसी को प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए निर्देश देने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. अदालत ने रेखांकित किया कि पुलिस से छह मार्च को एटीआर मांगी गई थी और तब से रिपोर्ट दायर करने के कई मौके दिए गए.

 

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