Advertisement

गजेंद्र चौहान को अनुपम खेर ने दिया जवाब- प्रशासक की तरह एजेंडे सेट करना मेरा काम नहीं

पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट (एफटीआईआई) के अध्यक्ष अनुपम खेर का कहना है कि वह बतौर प्रशासक एजेंडे सेट करने के बजाय अपने अनुभव छात्रों के साथ साझा करने पर ज्यादा ध्यान देंगे.

अनुपम खेर अनुपम खेर
स्वाति पांडे/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST

पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट (एफटीआईआई) के अध्यक्ष अनुपम खेर का कहना है कि वह बतौर प्रशासक एजेंडे सेट करने के बजाय अपने अनुभव छात्रों के साथ साझा करने पर ज्यादा ध्यान देंगे.

उन्होंने आईएएनएस से इंटरव्यू में कहा, 'मैं भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा की अपनी यात्रा, अभिनय और सभी चीजों के साथ 40 वर्षो के अनुभव को छात्रों के साथ साझा करने का मौका मिलने पर बेहद खुश और आभारी हूं. मुझे लगता है कि अनुभव साझा करना आपके नजरिए को विस्तार देता है और मैं यही करना चाहता हूं.'

Advertisement

FTII में अब अनुपम खेर को लेकर विवाद, छात्रों ने बताया हितों का टकराव

अनुपम को एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने की घोषणा बुधवार को हुई. वह विवादों में रहे गजेंद्र चौहान का स्थान लेंगे, जिनकी 2014 में नियुक्ति होने के बाद संस्थान के विद्यार्थियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था. विरोध अनुपम का भी शुरू हो गया है, क्योंकि वह ऐसा ही एक निजी संस्थान चला रहे हैं.

भाजपा के सर्मथक अनुपम ने कहा, 'मैं प्रशासक की तरह एजेंडे सेट करने के बजाय विद्यार्थियों की सुविधाओं को बेहतर बनाने पर गौर करूंगा. मैं छात्रों और संकायों के साथ उनकी आवश्यकताओं को समझने के लिए बातचीत करना चाहता हूं, मैं छात्रों की बेहतरी के लिए उनकी मदद करूंगा.'

चौहान ने मार्च में अपना कार्यकाल पूरा किया है. अनुपम ने चौहान की नियुक्ति पर कहा था कि एफटीआईआई को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है, जिसमें चौहान के मुकाबले निर्माता, निर्देशक या अभिनेता के तौर पर ज्यादा योग्यताएं हों.

Advertisement

अब चौहान ने अनुपम की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए आईएएनएस को बताया कि एफटीआईआई को एक अच्छे अभिनेता के बजाय अच्छे प्रशासक की जरूरत है.

इसके बारे में पूछे जाने पर अनुपम ने कहा, 'किसी व्यक्ति के द्वारा एक निश्चित संदर्भ में कहे गए शब्दों पर टिप्पणी करना गरिमापूर्ण नहीं है. मुझे लगता है कि यह एक बड़ा सम्मान और एक बड़ी जिम्मेदारी है.'

उन्होंने कहा, 'मैं एक सरकारी क्लर्क का बेटा हूं जो मुंबई जेब में 40 रुपये के साथ आया था. आज, जो कुछ भी मैंने सम्मान पाया है, वह मेरी कड़ी मेहनत और ईश्वर के आशीर्वाद के जरिए पाया है, मैं इससे ज्यादा कुछ और नहीं मांग सकता था. मैं संतुष्ट हूं.'

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ने 1984 में फिल्म 'सारांश' के साथ अपने अभिनय करियर का आगाज किया था. अनुपम ने 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है, जिसमें 'कर्मा', 'डैडी', 'लम्हे', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', 'कुछ कुछ होता है', 'बेटा', 'मैंने गांधी को नहीं मारा', 'अ वेडनसडे' और 'बेबी' शामिल हैं.

FTII चेयरमैन बनते ही अनुपम खेर के लिए खड़ी हुई मुश्किल, प्रशासन का बहिष्कार करेंगे के छात्र

वह 'बेंड इट लाइक बेकहम', 'ब्राइड एंड प्रीजूडिस', 'स्पीडी सिंह्स', 'द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेस', 'लस्ट, कॉशन' और अकादमी पुरस्कार विजेता 'सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक' जैसी अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में भी काम कर चुके हैं.

Advertisement

उन्होंने कई नाटकों में भी अभिनय किया है और वह एक किताब 'द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू' के लेखक भी हैं.

इससे पहले, अनुपम ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष के रूप में काम किया था, और 2001 से 2004 तक वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक भी रहे थे. अनुपम यहीं से 1978 में एक छात्र के रूप में पास हुए थे.

सिकंदर के असली पिता नही हैं अनुपम खेर, ऐसी रही है लव लाइफ

अनुपम अपना खुद का अभिनय संस्थान चलाते हैं, जिसका नाम है- एक्टर प्रिपेयर्स. कला के क्षेत्र में योगदान के लिए वह 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्मभूषण से सम्मानित हो चुके हैं.

अभिनेता ने बताया कि वह 14 साल से एक अभिनय स्कूल चला रहा हैं और उन्हें लगता है कि वह मनोरंजन उद्योग में 40 साल से इसलिए टिके हुए हैं, क्योंकि वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (दिल्ली) के छात्र हैं.

पिछले कुछ दिनों से अनुपम अपने बैनर की फिल्म 'रांची डायरी' का प्रचार करने में व्यस्त रहे हैं, और उनके पास और भी कई परियोजनाएं हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या एफटीआईआई अध्यक्ष के रूप में नई जिम्मेदारी उनके फिल्म के काम पर असर डालेगी? तो अनुपम ने कहा, नहीं, नहीं. मैं एक कलाकार हूं और उस मोर्चे पर कुछ भी बदलने वाला नहीं है. यह पहली बार नहीं है जब मैं एक प्रशासनिक पद को संभाल रहा हूं. मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का अध्यक्ष भी था.

Advertisement

उन्होंने कहा, 'मेरा काम कार्यालय में बैठना नहीं है, बल्कि विचारों पर काम करना है और मैं इसे आसानी से संभाल सकता हूं. मेरी फिल्म, मेरा थिएटर, शो सब कुछ एक साथ चल रहा होगा. मेरे दादा अक्सर कहा करते थे, 'एक व्यस्त व्यक्ति के पास सभी चीजों के लिए समय होता है.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement