
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी को लेकर बवाल मचा हुआ है. कुछ सेलिब्रिटी सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं वहीं सेलिब्रिटीज के एक धड़े ने सवाल उठाने वालों पर ही आरोप मढ़ दिए हैं. चिट्ठी में लिंचिंग की घटनाओं पर हस्ताक्षर करने वाले 49 हस्तियों में अनुराग कश्यप का भी नाम शामिल है. एक इंटरव्यू में अनुराग ने इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है.
जब अनुराग से पूछा गया, माना जाता है सोशल मीडिया पर आपका एक्टिविज्म सेलेक्टिव है और एक व्यक्ति के खिलाफ है. आप लोग नरेंद्र मोदी की जीत पचा नहीं पाए? दी लल्लनटॉप से अनुराग ने कहा, "ये महज एक कल्पना है. एक राजनीतिक राय है. मेरी दिक्कतें कई सारे प्रधानमंत्रियों से रही है. मैं सरकारों से लड़ा हूं."
अनुराग ने कहा, "अगर मैं एक नागरिक होने के नाते सरकार से नहीं लड़ सकता और बहस नहीं कर सकता तो किस बात की डेमोक्रेसी है. जब ब्लैक फ्राइडे और गैंग्स ऑफ वासेपुर रिलीज हुई थी तब कांग्रेस की सरकार थी."
"उन्होंने (जेटली) खुद मुझे आरएसएस के शेषाद्रीचारी के पास अपनी बात समझाने के लिए भेजा था. उस वक्त प्रधानमंत्री वाजपेयी जी थे. डिसेंट तो मैं तब भी था. उस समय जेटली साहब ने मेरी डिसेंसी की इज्जत की थी. मगर उड़ता पंजाब के वक्त मुझे पूरी तरह से चुप कराने की कोशिश की गई. जब भी मुझे कोई बात गलत लगती है तो मैं कहता हूं. और प्रधानमंत्री से नहीं कहूं तो किससे कहूं."
नरेंद्र मोदी से असहमति के सवाल पर अनुराग ने कहा, "असहमति उससे होती है जिससे आपको उम्मीदें हों. उम्मीद प्रधानमंत्री से ना हो तो किससे हो. मैं तो ऐसे माहौल में बड़ा हुआ हूं जहां मैंने लोगों को मार्गरेट थैचर और बिल क्लिंटन को चिट्ठी लिखते देखा है. उनका आपके या आपके देश के साथ कोई लेना-देना नहीं है. फिर भी जवाब आते थे."
अनुराग ने कहा, "अगर आपको लगता है कि आप प्रधानमंत्री को चिट्ठी नहीं लिख सकते, उनसे अपनी भावनाएं नहीं व्यक्त कर सकते, अगर उनसे सवाल करना देशद्रोह है तो फिर मुझे नहीं पता क्या चल रहा है."