
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रविवार को तीसरे चरण के लिए मतदान किया जा रहा है. तीसरे चरण में शिवपाल यादव समेत यूपी की राजनीति के कई दिग्गजों की किस्मत का फैसला होना है. साथ ही कुछ उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके परिवार और राजनीतिक तुजुर्बे की साख दांव पर है. सबसे दिलचस्प लड़ाई लखनऊ की कैंट सीट पर है. इस सीट से बीजेपी के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी चुनाव लड़ रही हैं तो उन्हें टक्कर दे रही हैं मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव.
लखनऊ कैंट सीट हमेशा से वीआईपी सीट रही है. लेकिन इस बार यहां दो महिला उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर है. एक दिलचस्प बात ये भी है कि ये दोनों महिला उम्मीदवार मूल रूप से उत्तराखंड के पहाड़ों से आती हैं और यूपी की राजधानी में अपनी सियासी लड़ाई लड़ रही हैं.
अपर्णा बिष्ट यादव
अपर्णा यादव मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं और उनका पूरा नाम अपर्णा यादव बिष्ट है. अपर्णा मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं. उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट एक वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं. पत्रकारिता के दौरान उन्हें लखनऊ में एक बड़े अखबार के संपादक की जिम्मेदारी मिली. अपर्णा ने लखनऊ से अपनी स्कूलिंग की और इसके बाद मैनचेस्टर यूनिविर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएश किया.
रीता बहुगुणा जोशी
अपर्णा यादव की तरह ही रीता बहुगुणा जोशी भी मूल रूप से उत्तराखंड से हैं. हालांकि उनके पिता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हेमवती नंदन बहुगुणा का ज्यादा वक्त यूपी में गुजरा. यही वजह है कि इलाहाबाद के बाद लखनऊ रीता बहुगुणा का राजनीतिक कार्यक्षेत्र रहा. रीता बहुगुणा के पिता के नाम पर उत्तराखंड के श्रीनगर में यूनिवर्सिटी भी बनाई गई जिसे गढ़वाल यूनिवर्सिटी कहा जाता है.
उत्तराखंड की ये दोनों बेटियां फिलहाल लखनऊ के सियासी दंगल में आमने-सामने हैं. रीता बहुगुणा ने 2012 में लखनऊ कैंट सीट से ही कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इतना ही नहीं वह यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. हाल ही में रीता बहुगुणा ने बीजेपी का दामन थामा है. दूसरी तरफ अपर्णा यादव के लिए ये पहली राजनीतिक लड़ाई है. हालांकि मुलायम सिंह यावद समेत अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने अपर्णा के लिए वोट की अपील की है लेकिन अपर्णा के लिए ये 'पहला मैच' उतना आसान नहीं होगा.