
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में शामिल होने के अनुप्रिया पटेल के सपनों को गहरा धक्का पहुंच सकता है. यूपी चुनाव के बाबत बीजेपी में अपना दल के विलय की कोशिशें नाकाम हो गई हैं, क्योंकि अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने ऐसी किसी भी खबर को निराधार बताया है. यही नहीं, पार्टी ने चेतवानी दी है कि अगर अनुप्रिया को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है तो अपना दल एनडीए छोड़ने पर विचार कर सकता है.
सोमवार को कृष्णा पटेल ने दो टूक शब्दों में कहा कि अनुप्रिया पटेल को जनवरी 2015 में ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है. लिहाजा उनका पार्टी पर कोई हक नहीं बनता. सोनेलाल पटेल द्वारा स्थापित अपना दल में पारिवारिक कलह जारी है. मां कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल के बीच पार्टी पर वर्चस्व को लेकर जंग जारी है.
'...तो बीजेपी को होगा नुकसान'
अपना दल के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह ने 'आज तक' से खास बातचीत में कहा, 'अनुप्रिया पटेल अपना दल से निष्कासित है. उनको मोदी मंत्रिमंडल में लिए जाने से बीजेपी का होगा नुकसान होगा. अनुप्रिया का अपना दल से कोई लेना देना नहीं है, इसलिए बीजेपी में अपना दल का मर्जर नहीं होगा.'
उन्होंने आगे कहा कि पटेल वोट बैंक अनुप्रिया पटेल के साथ नहीं, बल्कि अपना दल के साथ है. अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल हैं. बीजेपी को अपना दल से बात करनी चाहिए थी.
गौरतलब है कि अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं. इसके पहले वो वाराणसी लोकसभा की रोहनियां विधानसभा सीट से विधायक भी रहीं. अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल पूर्वी यूपी में पटेलों के बीच सबसे कद्दावर नेता के रूप में जाने गए. बीती 2 जुलाई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अनुप्रिया की ओर से आयोजित अपना दल की बड़ी रैली में भी हिस्सा लिया.
ये है बीजेपी का चुनावी गणित
अपना दल में वर्चस्व की लड़ाई में अनुप्रिया पटेल का टकराव अपनी मां और बहन से है. बीजेपी का मानना है कि मोदी सरकार में अनुप्रिया के मंत्री बनते ही अपना दल के कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से को साथ लाने में अनुप्रिया को बड़ी ताकत मिलेगी. यूपी के विधानसभा चुनाव में पटेल वोटों को बीजेपी एकमुश्त अपने पाले में खड़ा करना चाहती है. अनुप्रिया के जरिए बीजेपी अपनी इसी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी है.