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ऐप डिलीट करने के बाद भी लोकेशन ट्रैक करने पर Apple सीईओ टिम कुक ने Uber ऐप हटाने की धमकी दी थी

मीटिंग इस दौरान टिम कुक ने ट्रैविस क्लानिक को इसे खत्म करने को कहा. ऐसा नहीं करने पर ऐप स्टोर से Uber ऐप हटाने की धमकी भी दी. न्यू यॉर्क टाइम्स के आर्टिकल के मुताबिक इस मीटिंग को देखने वाले एक शख्स ने बताया कि इस दौरान टिम कुक ने उबर के सीईओ डांटते हुए देखा है.

ऐपल सीईओ टिम कुक और उबर सीईओ (फाइल फोटो) ऐपल सीईओ टिम कुक और उबर सीईओ (फाइल फोटो)
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

Apple को प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए जाना जाता है. चाहे कुछ भी हो जाए ऐपल ने कई ऐसे उदाहरण दिए हैं जब वो यूजर डीटेल्स किसी एजेंसी के साथ शेयर नहीं करती है. NYT की रिपोर्ट के मुताबिक ऐपल के सीईओ टिम कुक ने उबर के सीईओ ट्रैविस क्लानिक को एक मीटिंग के दौरान Uber ऐप को ऐप स्टोर से हटाने की धमकी दी थी.

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ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि Uber ऐप ऐपल की प्राइवेसी गाइडलाइन को इग्नोर कर रहा है. न्यू यॉर्क टाइम्स के सूत्रों ने यह दावा किया है कि इसके लिए ऐपल सीईओ ने 2015 में खुद उबर के सीईओ से मुलाकात करके इस बारे में बातचीत की. रिपोर्ट के मुताबिक Uber ऐप डिलीट करने के बाद भी यूजर्स की लोकेशन ट्रैक कर सकता था.

रिपोर्ट के मुताबिक Uber ने ऐप स्टोर और ऐपल को बेवकूफ बनाने की पूरी कोशिश की थी. Uber ने फिंगरप्रिंटिंग की थी जिसे ऐपल ने वर्जित कर रखा है. उबर ऐप को इस तरह डिजाइन किया गया था कि ऐपल चाह कर भी उस ऐप में फिंगरप्रिंटिंग को न ढूंढ सके. लेकिन उबर की लाख कोशिशों के बावजूद भी ऐपल ने इसे पता कर लिया जिसके बाद कंपनी के सीईओ ने उबर के सीईओ से मुलाकात की.

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मीटिंग इस दौरान टिम कुक ने ट्रैविस क्लानिक को इसे खत्म करने को कहा. ऐसा नहीं करने पर ऐप स्टोर से Uber ऐप हटाने की धमकी भी दी. न्यू यॉर्क टाइम्स के आर्टिकल के मुताबिक इस मीटिंग को देखने वाले एक शख्स ने बताया कि इस दौरान टिम कुक ने उबर के सीईओ डांटते हुए देखा है.

इस रिपोर्ट पर ऐपल ने अभी तक कुछ भी नहीं कहा है. लेकिन उबर के प्रवक्ता ने एक स्टेटमेंट में कहा है , ‘हम ऐप डिलीट करने के बाद किसी यूजर की लोकेशन ट्रैक बिल्कुल नहीं करते. न्यू यॉर्क टाइम्स की स्टोरी में जो बात कही गई है वो फ्रॉड से बचने और चोरी हुए फोन में Uber ऐप इंस्टॉल करने से बचने के लिए ऐसा किया जाता है. ऐसी ही टेक्नीक संदेहास्पद यूजर्स के अकाउंट को डिटेक्ट करने और ब्लॉक करके यूजर्स के अकाउंट बचाने के लिए भी किया जाता है.’

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