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आम आदमी पार्टी के लिए बुधवार का दिन अच्छा साबित नहीं हो रहा. पार्टी के विधायक सुरेंदर सिंह के फर्जी डिग्री विवाद में फंसने के बाद अब दिल्ली सरकार को भी हाई कोर्ट का नोटिस मिला है. 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के मामले में कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार को दो हफ्ते के भीतर जवाब देना होगा. मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर विचार जरूरी है. केजरीवाल के इस फैसले के खिलाफ दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति नहीं कर सकते और उनका यह फैसला असंवैधानिक है.
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया है. बीजेपी और कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की थी. बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 21 विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे दिल्ली की जनता पर बोझ पड़ेगा. गौर करने वाली बात यह है कि 1993 में दिल्ली विधानसभा के दोबारा गठन के बाद से किसी भी सरकार में तीन से ज्यादा संसदीय सचिव नहीं रहे हैं.
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी एक साथ 21 सचिवों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैंने अपने किसी भी कार्यकाल में तीन से ज्यादा संसदीय सचिव नियुक्ति नहीं किए और इसके लिए भी हमें केंद्र से इजाजत लेनी पड़ती थी.