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सुप्रीम कोर्ट ने शक जाहिर किया है कि पुलिस और नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो के लोग जब्त की गई करोड़ों रुपये किए गए हशीश और गांजे को नष्ट नहीं करते. बल्कि सिस्टम की खामियों की वजह से भारी मुनाफे के साथ दोबारा बाजार में छोड़ देते हैं. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों की खिंचाई भी की है.
कोर्ट ने आशंका जताई है कि ड्रग्स के बजाय गाय के गोबर की खाद जला दी जाती है. नियमों के मुताबिक पुलिस या नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों को जब्त की हुई ड्रग्स जलाकर नष्ट करनी होती हैं.
कोर्ट ने पूछा, जाती कहां हैं ड्रग्स
जस्टिस टीएस ठाकुर और एनवी रमन की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा कि नार्कोटिक्स ब्यूरो कहता है हमने 30 करोड़ की ड्रग्स जब्त की, 50 करोड़ की ड्रग्स जब्त की. आखिर ये जाती कहां है? कोर्ट में तो सैंपल लाया जाता है, बाकी कहां जा रही है? क्या आप सुनिश्चित हैं कि जो चीज जलाई जा रही है वह ड्रग्स ही है या फिर यह गाय के गोबर की खाद है? संभव है कि यह खाद ही हो.
सिस्टम में यहां है खामी
कोर्ट ने कहा कि जब्त की हुई ड्रग्स हवलदार या जूनियर लेवल के लोगों को नष्ट करने के लिए दे दी जाती है. वे जानते हैं कि सबूत के तौर पर सैंपल के लिए थोड़ी ही चाहिए. बाकी को वे आसानी से बेच सकते हैं. ऐसे मामले सामने भी आए हैं.
हफ्तेभर में मांगी पॉलिसी
कोर्ट ने रंजीत कुमार से हफ्तेभर के भीतर ड्रग्स डिस्पोजल पॉलिसी बनाने को कहा है. साथ ही राज्यों के सचिवों से बीते 10 साल का रिकॉर्ड मांगा है कि विभिन्न कानून लागू करने के लिए क्या कदम उठाए.
क्या है मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट 2012 की केंद्र की अपील पर सुनवाई कर रहा है. केंद्र ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से कुछ लोगों को बरी किए जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की थी. कोर्ट ने यह शक अमेकस क्यूरे अजीत कुमार के यह बताने पर जताया कि जब्त ड्रग्स में से सिर्फ 5 से 10 फीसदी ही नष्ट की जाती है.