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केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूर किया भगोड़े घोटालेबाजों पर अंकुश लगाने वाला बिल

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली के शास्त्री भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश छोड़ने वाले घोटालेबाजों पर अंकुश लगाने के लिए यह बिल लाया गया है. इसके लिए लंबे समय से तैयारी चल रही थी.

अरुण जेटली (फाइल फोटो) अरुण जेटली (फाइल फोटो)
राहुल श्रीवास्तव/बालकृष्ण/सना जैदी
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

भगोड़े घोटालेबाजों पर अंकुश लगाने के लिए प्रस्तावित बिल पर केंद्र सरकार की कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है. इस बिल के तहत देश छोड़कर जाने वाले को भगोड़ा घोटालेबाज घोषित किया जाएगा. कैबिनेट ने जिस बिल को मंजूर किया है उसे फ्यूजीटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल कहा जाएगा.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को दिल्ली के शास्त्री भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश छोड़ने वाले घोटालेबाजों पर अंकुश लगाने के लिए यह बिल लाया गया है. इसके लिए लंबे समय से तैयारी चल रही थी. बिल को बजट सत्र के दूसरे हॉफ में पेश किया जाएगा.

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जेटली के अनुसार, यह बिल उन्हीं मामलों में मान्य होगा, जहां अपराध 100 करोड़ रुपये से अधिक के हों. बिल के तहत अनुसूचित अपराधियों की पहचान की जाएगी. कोर्ट किसी को भी भगोड़ा घोषित कर सकता है. हालांकि इसके लिए घोटाले की सीमा 100 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए. इससे बड़े अपराधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा.

इस कानून में  खास बात यह होगी कि भगोड़े व्यक्ति की सिर्फ अपराध द्वारा अर्जित की हुई संपत्ति ही नहीं बल्कि सारी संपत्ति जब्त की जा सकेगी. फिलहाल नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कानून की कमियों का फायदा उठाते थे और एक बार विदेश भाग जाने के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही करने में काफी समय लगता है. नए कानून से यह प्रक्रिया तेज हो सकेगी.

कैबिनेट की बैठक में ही पंजाब नेशनल बैंक और तमाम बैंकों के घोटाले सामने आने के बाद सरकार ने ऑडिटर्स के कामकाज की निगरानी करने वाली भी एक संस्था बनाने का फैसला किया है. इस संस्था का नाम नेशनल फाइनेंशियल  रिपोर्टिंग ऑथरिटी (NAFRA) होगा . इस संस्था के दायरे में सभी लिस्टेड कंपनियों और दूसरी बड़ी कंपनियां आएंगी.

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ऑडिटर्स के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाने के लिए सरकार को कोई कानून लाने की जरूरत नहीं है. दरअसल, 2013 के कंपनीज एक्ट में ही इस बात का प्रावधान है कि ऑडिटर्स के लिए NAFRA का गठन किया जाए. लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट लगातार इस बात का दबाव बनाते रहे हैं कि सरकार कंपनी एक्ट के इस प्रावधान का इस्तेमाल नहीं करे और यह मामला लंबे समय से टलता रहा. साल 2014 में कंपनीज एक्ट की बाकी तमाम चीजें तो लागू हो गईं लेकिन ऑडिटर्स के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाने का प्रस्ताव तब से लागू नहीं हुआ. लेकिन एक के बाद एक घोटाले और उसमें ऑडिटर्स की संदिग्ध भूमिका के बाद अब सरकार ने यह कड़ा कदम उठाने का फैसला कर लिया है. 

इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट भाषण में ऐसे भगोड़ों की संपत्ति जब्त करने को लेकर कानून में बदलाव या नया कानून लाने का वादा किया था. यह आर्थिक अपराध करने वालों को देश छोड़कर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों पर अंकुश लगाने पर जोर देगा.

विधेयक वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को आर्थिक अपराधी को भगोड़ा घोषित करने और संपत्ति जब्त करने को लेकर आवेदन देने की अनुमति देगा. एफआईयू वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली तकनीकी खुफिया इकाई है. मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून के तहत अदालत को मामले की सुनवाई की जिम्मेदारी दी जाएगी.

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