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भारत ने स्वीकारी ब्रिक्स 2016 की अध्यक्षता, जेटली करेंगे सम्मेलन का उद्घाटन

ब्रिक्स सदस्यों देशों के बीच शामिल अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता हेतू कानूनी ढांचे के उपयोग को समझने में इस सम्मेलन का परिणाम मिल का पत्थर साबित होगा.

अरुण जेटली अरुण जेटली
लव रघुवंशी/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:32 PM IST

भारत ने वर्ष 2016 में ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण की है और अक्टूबर 2016 में एक प्रमुख राजनीतिक सह-व्यापार कार्यक्रम होना है. ब्रिक्स की भावना को ध्यान में रखते हुए भारत ने कई कार्यक्रमों की शुरूआत की है, जिसमें से एक 'ब्रिक्स में अंतरराष्ट्रीय पंचाटः चुनौती, अवसर और आगे का रास्ता' है, जिस पर दिल्ली के विज्ञान भवन में 27 अगस्त, 2016 को एक सम्मेलन होना है. इस सम्मेलन का आयोजन आर्थिक मामलों का विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा फिक्की और भारतीय पंचाट परिषद (आईसीए) के सहयोग से किया जा रहा है.

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और विधि और न्याय, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद इसका समापन भाषण देंगे.

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेज्ञषों को साथ लाएगा सम्मेलन
2015 में ब्रिक्स के पांच देशों के बीच 242 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ है. यह स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है कि ब्रिक्स देशों के बीच निवेशकों या व्यापारिक संस्थाओं द्वारा किसी भी व्यावसायिक या निवेश विवाद के समाधान के लिए कुशल और प्रभावी उपाय करके आर्थिक गतिविधियों और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है. विवाद, समाधान और मध्यस्थता का आंकलन, मूल्यांकन और विचारों के बारे में बहस के उद्देश्य के लिए यह सम्मेलन ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेज्ञषों को एक साथ लाता है. यह सम्मेलन ब्रिक्स देशों के बीच डाटा, प्रदर्शन संबंधी चुनौतियों, मजबूत मध्यस्थता, व्यवस्था और संस्कृति के क्षेत्र में आवश्यकताओं और हालिया घटनाक्रमों को रेखांकित करेगा.

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इस सम्मेलन में तीन तकनीकी सत्रों के माध्यम से सभी चिंता वाले विषयों और क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.

1. पंचाट और विवाद समाधानः ब्रिक्स देशों पर क्रेंद्रित.

2. विवादों का निपटारा और संधि पुरस्कारों का प्रवर्तन.

3. ब्रिक्स में एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट विकसित करने की ओर.

ब्रिक्स सदस्यों देशों के बीच शामिल अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता हेतू कानूनी ढांचे के उपयोग को समझने में इस सम्मेलन का परिणाम मिल का पत्थर साबित होगा.

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