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ये हैं आप की जीत की 10 वजहें

अरविंद केजरीवाल दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने जा रहे हैं. क्लीन स्वीप करते हुए. लोकसभा चुनाव के बाद से चली मोदी लहर को थामते हुए. भगोड़ा और धरनेबाज के ठप्पे से खुद को आजाद करते हुए. तो उन्होंने ये कमाल किया कैसे-

केजरीवाल केजरीवाल
धीरेंद्र राय
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2015,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

अरविंद केजरीवाल दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने जा रहे हैं. क्लीन स्वीप करते हुए. लोकसभा चुनाव के बाद से चली मोदी लहर को थामते हुए. भगोड़ा और धरनेबाज के ठप्पे से खुद को आजाद करते हुए. तो उन्होंने ये कमाल किया कैसे-

1. केजरीवाल ने चुनावों की घोषणा के पहले से ही बीजेपी पर दबाव बना दिया था. दिल्ली की ऑटो रिक्शा पर मुंह लटकाए जगदीश मुखी के पोस्टर्स ने माहौल बना दिया था.

2. आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की दुखती रग से हाथ हटाया ही नहीं. उसका फोकस उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों पर ही रहा. जब सतीश उपाध्याय को प्रोजेक्ट करने की बात आई, तो उनके घपले सामने ले आए.

3. आप ने दिल्ली के कुछ तबकों से अपनी पकड़ कभी ढीली नहीं की. जैसे झुग्गी वाले, रेहड़ी वाले और छोटे कारोबारी. इनकी संख्या करीब 15 से 20 लाख है.

4. दिल्ली में आप भ्रष्टाचार रोधी मुहिम सिर्फ पुलिस और कुछ अन्य विभागों की उगाही को लेकर ही रही है. जिसमें वे वादा करते आए हैं कि यदि उनकी सरकार आई तो वे गरीबों और छोटे कारोबारियों को इससे छुटकारा दिलाएंगे. ये वोटर आप के इस वादे पर भरोसा भी करते हैं.

5. केजरीवाल खुद को इमानदार और पीडि़त बताने में भी सफल रहे. पिछली बार इस्तीफा देने पर वे माफी मांगते रहे. फिर जब मोदी ने उन पर आरोपों के जरिए वार किया, तो वे खुद को पीडि़त बताने लगे. इससे उन्हें सहानुभूति मिली.

6. आम आदमी पार्टी को पता था कि उनका मुकाबला उस पार्टी से है, जिसके पास मीडिया और कैंपेन मैनेजमेंट के लिए बड़ी टीम है. ऐसे में आप ने भी आईआईटी बॉम्बे के समर्थकों की टीम को दिल्ली चुनाव से जोड़ा. जिसने नवंबर में सोशल मीडिया पर रिसर्च का ऐसा टूल बनाया, जिससे पता चल सके कि लोग किन मुद्दों पर ज्यादा बात कर रहे हैं. इससे आप को अपने चुनाव कैंपेन को दिशा देने में मदद मिली.

7.
लोकसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी देशभर में चुनाव लड़ रही थी, तब भी आप की टीम ने पूरा फोकस दिल्ली पर ही रखा. घर-घर लोगों से संपर्क बनाए रखा और अपना आधार मजबूत किया. जबकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों उदासीन बैठे रहे.

8.
अंतिम समय में जब ताबड़तोड़ किरण बेदी को लाया गया तो इससे बीजेपी में भीतरी कलह शुरू हो गई. कुछ नेताओं की बयानबाजी ने बीजेपी का नुकसान तो किया ही, अप्रत्यक्ष रूप से आप को फायदा पहुंचाया.

9.
पिछले चुनाव में मुस्लिम वोट कांग्रेस और आप के बीच बंट गया था. जबकि इस बार वह पूरी तरह आप के पक्ष में गया. क्योंकि यह मान लिया गया था कि बीजेपी को रोकने का दम अब कांग्रेस में नहीं बचा.
10. वोटिंग के ठीक पहले आप के पक्ष में लगभग हवा चलने लगी, मानो कि अब दिल्ली एक बार पूरी तरह आप को सत्ता में देखना चाहती है.

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