
1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करते ही अरविंद केजरीवाल के हाथ में ओएनजीसी से नौकरी का ऑफर लेटर आ चुका था. मगर उन्होंने जिद कर ली- नौकरी तो मुझे उसी टाटा स्टील में ही करनी है, जिसने इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया. दरअसल, टाटा स्टील जमशेदपुर के साथ अरविंद केजरीवाल का पहला इंटरव्यू निराशा भरा था, उन्हें तब कंपनी ने नौकरी लायक समझा ही नहीं.
केजरीवाल इतने जिद्दी ठहरे कि उन्होंने दोबारा इंटरव्यू के लिए टाटा स्टील कंपनी मुख्यालय तक गुहार लगा डाली. कहा कि उन्हें इंटरव्यू का बस एक और मौका मिल जाए तो वह अपने आप को साबित कर देंगे. आखिरकार कंपनी ने उनका फिर से इंटरव्यू लिया. इस बार मामला केजरीवाल के पक्ष में गया और वह टाटा स्टील की नजर में नौकरी लायक ठहरे.
ट्रेनिंग के बाद जमशेदपुर में वह टाटा स्टील में असिस्टेंट मैनेजर बने. मगर कुछ ही समय में केजरीवाल मैनेजर की नौकरी करते हुए ऊब गए. फिर उन्हें लगा कि जो वह करना चाहते हैं उसके लिए सिविल सर्वेंट बनना होगा. उनके मन में सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का ख्याल आया. खुद पर आत्मविश्वास इतना था कि उन्होंने तैयारी के लिए टाटा स्टील की प्रतिष्ठित नौकरी भी छोड़ दी. यहीं से केजरीवाल के संघर्षों की वह पथरीली डगर तैयार हुई, जिस पर चलते हुए वह आज दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में सफल रहे. 16 अगस्त 1968 को जन्मे अरविंद केजरीवाल कैसे इंजीनियरिंग की फील्ड से निकलकर नौकरशाही(ब्यूरोक्रेसी) में घुसे और फिर राजनीति में सफलता की सीढियां चढ़ते गए. पढ़िए जन्मदिन पर उनकी राजनीतिक यात्रा के बारे में.
एक तरफ सिविल सर्विसेज की तैयारी जारी थी, दूसरी तरफ केजरीवाल सोशल सर्विस भी करते थे. इसी दौरान वह मदर टेरेसा से मिले और उनके निर्देशन मे कालीघाट आश्रम में दो महीने तक काम किया. बाद में उन्होंने राम कृष्ण मिशन और क्रिश्चियन ब्रदर्स एसोसिएशन से जुड़कर भी काम किया. नेहरू युवा केंद्र के साथ केजरीवाल ने ग्रामीण इलाकों में समाज सेवा से जुड़े काम किए. इस बीच उनकी जारी सिविल सर्विसेज की तैयारी रंग लाई और 1995 में वह भारतीय राजस्व सेवा(आईआरएस) में चुन लिए गए.
भ्रष्टाचार देख छोड़ दी सरकारी नौकरी
आईआरएस अफसर के तौर पर अरविंद केजरीवाल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में काम करने लगे. देखा कि जो महकमा करप्शन खत्म करने और टैक्स चोरों को पकड़ने के लिए बनाया गया है, वहीं पर लूट-खसोट मची है. ऊपरी दबाव में अफसरों को गलत काम करने पड़ रहे हैं. इनकम टैक्स सर्वे में खेल हो रहा है. यह सब अरविंद केजरीवाल की उन कल्पनाओं से परे थे, जो वह सरकारी नौकरी में आने से पहले समझते थे. अरविंद केजरीवाल ने नौकरी के साथ समाज सेवा में भी सक्रिय रहने का फैसला किया. 1999 में उन्होंने 'परिवर्तन' नामक संस्था के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम शुरू की.
यहीं से केजरीवाल की एंटी करप्शन एक्टिविस्ट के तौर पर पहचान बननी शुरू हुई. 1999 में दिल्ली में राशन घोटाले का खुलासा कर केजरीवाल सुर्खियों में आ गए. आईआरएस अफसर रहते हुए उन्होंने इस घोटाले का खुलासा किया था, लिहाजा चर्चा लाजिमी थी. 2006 में जब अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली में इनकम टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर थे तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. अब केजरीवाल फुल टाइमर एक्टिवस्ट बन चुके थे. देश मे पारदर्शिता के लिए आरटीआई एक्ट लागू करने को लेकर हुए आंदोलन से भी केजरीवाल जुड़े रहे.
अन्ना आंदोलन ने दिलाई राष्ट्रीय पहचान
आईआरएस की नौकरी छोड़ने के बाद अब अरविंद केजरीवाल गाजियाबाद के कौशांबी वाले घर से सामाजिक गतिविधियों का संचालन करने लगे. बात 2010 की है, जब वह महाराष्ट्र के गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के करीब आए. यह वो वक्त था जब मनमोहन सरकार में सामने आए कई बड़े घोटालों से जनता में नाराजगी थी. लोग एक नेतृत्व की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे थे. केजरीवाल ने जनता की नब्ज समय रहते भांप ली. फिर जनलोकपाल को भ्रष्टाचार के खात्मे का बड़ा औजार बताते हुए अन्ना हजारे के नेतृत्व में उन्होंने जनलोकपाल आंदोलन की नींव डाली.
यह आंदोलन इंडिया अगेंस्ट करप्शन बैनर मुहिम के तहत चला. 2011 का वक्त देश में अन्ना आंदोलन के लिए जाना जाता है. रामलीला के मैदान में स्वतःस्फूर्त रूप से देश के कोने-कोने से परिवर्तन की आस में आए हजारों लोगों की भीड़ कई दिन और रात तक जुटी रही. यह पूरा आंदोलन आज भी राजनीतिशास्त्रियों के लिए एक कौतूहल और अध्ययन का विषय रहा है. कहा जाता है कि आंदोलन का चेहरा भले गांधीवादी अन्ना हजारे थे, मगर इसके पीछे पूरी योजना अरविंद केजरीवाल की ही थी. टीम अन्ना हजारे में फूट होने के पीछे आरोप लगते रहे कि अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन हाई जैक कर लिया था. अन्ना हजारे राजनीति में उतरने के खिलाफ थे, मगर केजरीवाल ने विकल्प की राजनीति देने के लिए नवंबर 2012 में चंद साथियों के साथ आम आदमी पार्टी शुरू की. कहा जाता है कि आंदोलन के दिनों में एक वरिष्ठ पत्रकार के घर हुई मीटिंग के दौरान केजरीवाल के दिलोदिमाग में पार्टी बनाने का ख्याल आया था. पार्टी बनाने के साथ अन्ना हजारे और केजरीवाल की राहें जुदा हो गईं, जो आज तक फिर न जुड़ सकीं.
केजरीवाल ने चुनावों में करिश्मा कर दिखाया
आम आदमी पार्टी ने साल भर में ही करिश्मा कर दिखाया. 2013 के विधानसभा चुनाव में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बहुमत न होने पर कांग्रेस ने एक रणनीति के तहत समर्थन दिया तो केजरीवाल 28 दिसंबर 2013 को पहली बार मुख्यमंत्री बने. मगर गठबंधन के कारण खुलकर फैसले लेने में हाथ बंधा दिखा तो केजरीवाल ने 49 दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया. फिर 2015 में केजरीवाल ने वो किया, जिसकी खुद उनकी ही पार्टी ने कल्पना नहीं की थी. 70 में से 67 सीटों जीतकर नया इतिहास रच दिया. सिर्फ तीन सीटें उस बीजेपी को मिली, जो 2014 में ही केंद्र की सत्ता में पहुंच चुकी थी. अरविंद केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. फरवरी 2020 में उनका कार्यकाल पूरा होगा.
केजरीवाल से जुड़ीं कुछ बातें
-अरविंद केजरीवाल 2012 में स्वराज नामक पुस्तक लिख चुके हैं. जिसमें उनकी नजर में विकल्प की राजनीति क्या है, इसको लेकर विचार हैं.
-अरविंद केजरीवाल के करीबी कहते हैं कि वह सिर्फ चार घंटे ही सोते हैं.
-सहपाठी बताते हैं कि जब वह कॉलेज के दिनों में खाली वक्त घूमते थे, तब केजरीवाल झुग्गी-झोपड़ियों में बच्चों को पढ़ाते थे और अन्य तरह के सोशल वर्क में समय बिताते थे.
- नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में आईआरएस की ट्रेनिंग के दौरान अरविंद केजरीवाल की दोस्ती बैचमेट सुनीता से हुई और बाद में उन्होंने शादी की. -केजरीवाल दंपती को एक पुत्र और एक पुत्री है.
-हरियाणा के सिवानी में 16 अगस्त 1968 को पैदा होने वाले अरविंद के पिता गोविंद राम केजरीवाल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. मां का नाम गीता देवी है.
-सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने पर 2005 में आईआईटी कानपुर से उन्हें सत्येंद्र दुबे अवार्ड मिल चुका है
-1989 में जब केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई पूरी की, उसी वर्ष गूगल के मौजूदा सीईओ सुंदर पिचाई एडमिशन लेने पहुंचे थे.