Advertisement

केजरीवाल से जो भी भिड़ा, AAP ने दिखा दिया बाहर का रास्ता!

आप के तीन उम्मीदवारों के नाम के ऐलान से और स्पष्ट हो गया है. यही नहीं इससे इस तथ्य पर भी मुहर लगती है कि जिस-जिस ने भी केजरीवाल से असहमति दिखाई और उनके काम करने के तौर तरीकों पर सवाल उठाए आम आदमी पार्टी के संरक्षक ने उसको निपटा दिया. ऐसे लोगों की काफी लंबी लिस्ट है.

कभी एक साथ थे प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल कभी एक साथ थे प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 03 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए जिन तीन लोगों के नाम तय किए गए हैं. उससे साफ है कि पार्टी अब केजरीवाल की होकर रह गई है. भ्रष्टाचार विरोधी लहर, आंतरिक लोकतंत्र और बदलाव जैसे तमाम वादों पर सवार होकर सत्ता में आई पार्टी व्यक्ति केंद्रित बनकर रह गई है.

ये आप के तीन उम्मीदवारों के नाम के ऐलान से और स्पष्ट हो गया है. यही नहीं इससे इस तथ्य पर भी मुहर लगती है कि जिस-जिस ने भी केजरीवाल से असहमति दिखाई और उनके काम करने के तौर तरीकों पर सवाल उठाए आम आदमी पार्टी के संरक्षक ने उसको निपटा दिया. ऐसे लोगों की काफी लंबी लिस्ट है...

Advertisement

कुमार विश्वास

आम आदमी पार्टी के मंचीय कवि कुमार विश्वास केजरीवाल से असहमति रखने के ताजा शिकार हैं. विश्वास और केजरीवाल के बीच कई मुद्दों पर अलग-अलग राय देखने को मिली है. चाहे वो मामला कपिल मिश्रा का हो या अमानतुल्लाह खान का.

केजरीवाल के गुट में कुमार विश्वास को राष्ट्रवादी और बीजेपी से हमदर्दी रखने वाले व्यक्ति के तौर देखा जाता है, जबकि केजरीवाल के राजनीति इसके विरोध में है. हाल के दिनों में विश्वास आप में ढांचागत बदलाव की बात करते रहे हैं. जाहिर है पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ये बर्दाश्त नहीं होता.

कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी में कुमार का 'विश्वास' सिमटता दिख रहा है. हालांकि उनके पास राजस्थान का प्रभार है.

योगेंद्र यादव-प्रशांत भूषण

कभी केजरीवाल के पुराने और मजबूत रणनीतिकार रहे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की आम आदमी पार्टी से विदाई बड़ी हृदय विदारक रही. 2015 के विधानसभा चुनावों के बाद योगेंद्र यादव-प्रशांत भूषण और केजरीवाल के बीच जबरदस्त मतभेद उभरकर सामने आए. हालात ये बन गए कि पार्टियों की बैठकों में नेताओं के बीच गाली गलौज और हाथापाई की नौबत आ गई.

Advertisement

योगेंद्र और प्रशांत भूषण पार्टी से अलग हो गए. दोनों नेता आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे, लेकिन केजरीवाल ने दोनों को पार्टी से बाहर कर दिया. योगेंद्र और प्रशांत ने स्वराज अभियान नाम से एक दल बनाया और दिल्ली में अपनी लड़ाई लड़ने की ठानी.

योगेंद्र यादव की अगुवाई में स्वराज अभियान ने एमसीडी चुनावों में भी हिस्सा लिया. लेकिन उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिली. राज्यसभा के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद योगेंद्र और प्रशांत ने ट्वीट कर इसे पार्टी का घोर पतन करार दिया.

कपिल मिश्रा

कभी दिल्ली में सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर दो करोड़ घूस लेने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. 2017 की गर्मियों में कपिल मिश्रा और केजरीवाल टीम के बीच जबरदस्त जंग चलती रही. कपिल को कुमार विश्वास का समर्थन हासिल था और संघर्ष धीरे-धीरे बढ़ता गया. बाद में कपिल मिश्रा बीजेपी की ओर खिसकते गए और विवाद मंद पड़ता गया. लेकिन पूरे मामले में चुप्पी साधे केजरीवाल कपिल मिश्रा के लिए सियासी तौर पर साइलेंट किलर साबित हुए.

विनोद कुमार बिन्नी

केजरीवाल के खिलाफ सबसे पहले बगावती सुर छेड़ने वाले विनोद कुमार बिन्नी ने आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा के खिलाफ सबसे आवाज उठाई और चुनावी मैदान में भी उन्हें चुनौती दी.

Advertisement

कभी दिल्ली में केजरीवाल के साथ मिलकर राजनीति करने वाले बिन्नी ने केजरीवाल की पहली सरकार में मंत्री पद न मिलने के बाद बगावती सुर अपना लिए थे.

इसके बाद अगले चुनाव के लिए पार्टी की ओर से टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बाद में बिन्नी को पार्टी से निलंबित कर दिया.

इन्होंने भी किया केजरीवाल से किनारा

इसके अलावा अन्ना आंदोलन के समय से केजरीवाल के साथ जुड़े समाजसेवियों ने भी अरविंद के काम करने के तरीके को लेकर आपत्ति जताते हुए पार्टी से किनारा कर लिया. इनमें सोशल एक्टिविस्ट मयंक गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अंजलि दामनिया प्रमुख हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement