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तीन तलाक बिलः ओवैसी ने लोकसभा में सुनाई बंदर और मछलियों की कहानी

ओवैसी ने कहा कि ये बिल मोदी सरकार अपने स्वार्थ के चलते लेकर आई है और उसकी मुस्लिम महिलाओं की मदद करने की बात केवल बहाना है. ओवैसी ने अपने भाषण के अंत में एक कहानी सुनाकर सरकार पर निशाना साधा.

असदुद्दीन ओवैसी असदुद्दीन ओवैसी
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST

तीन तलाक के खिलाफ लोकसभा में पेश बिल पर बहस करते हुए ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक को जुर्म बनाकर उसके लिए सजा मुकर्रर करने की सरकार की कोशिश का जमकर विरोध किया. ओवैसी ने कहा कि ये बिल मोदी सरकार अपने स्वार्थ के चलते लेकर आई है और उसकी मुस्लिम महिलाओं की मदद करने की बात केवल बहाना है. ओवैसी ने अपने भाषण के अंत में एक कहानी सुनाकर सरकार पर निशाना साधा.

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ओवैसी ने कहा कि बचपन में हम एक कहानी सुनते थे कि एक नदी में बहुत सारी मछलियां तैर रही हैं और मजे कर रही हैं. किनारे पर एक बंदर बैठा है और वो इन मछलियों को एक-एक कर नदी से निकालता है और किनारे रखता है. किनारे आने से ये मछलियां पानी के लिए तड़प-तड़पकर मर गईं. जब बंदर से पूछा गया कि उसने इन मछलियों को क्यों बाहर निकाला तो उसने जवाब दिया कि वो इन मछलियों को पानी में डूबने से बचा रहा था. ओवैसी ने कहा कि सरकार के मुस्लिम महिलाओं को लेकर किया जा रहा ये प्रयास उस बंदर जैसा ही है.

ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक वैध न होने के समर्थन में तर्क दिया जा रहा है कि कई इस्लामिक देशों में ऐसा है लेकिन इन इस्लामिक देशों में तीन तलाक देना जुर्म नहीं है और न ही इसके लिए सजा मुकर्रर है. ओवैसी ने कहा कि अगर सरकार वाकई महिलाओं को लेकर, उनके हितों को लेकर गंभीर है तो वो हिंदू परित्यक्ता महिलाओं को लेकर ऐसा कोई कानून क्यों नहीं बनाती.

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