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हिंद-प्रशांत में भारत-जापान समेत 4 देशों की जुगलबंदी से भड़का चीन, दी ये नसीहत

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों की काट के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने फिलीपींस की राजधानी मनीला में पहली वार्ता की. दरअसल हिंद और प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहे चीन को रोकने के लिए इन चारों देशों के अधिकारियों ने प्रस्तावित चार-पक्षीय गठजोड़ पर चर्चा की. इसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला व समावेशी बनाने और साझा हितों को बढ़ावा देने से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई

पीएम मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे की फाइल फोटो पीएम मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे की फाइल फोटो
साद बिन उमर
  • मनीला,
  • 13 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों की काट के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने फिलीपींस की राजधानी मनीला में पहली वार्ता की. दरअसल हिंद और प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहे चीन को रोकने के लिए इन चारों देशों के अधिकारियों ने प्रस्तावित चार-पक्षीय गठजोड़ पर चर्चा की. इसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला व समावेशी बनाने और साझा हितों को बढ़ावा देने से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई

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बता दें कि मंगलवार से शुरू हो रहे आसियान सम्मेलन में भारत-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण-चीन सागर में चीन के सैन्य विस्तार की चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की जा सकती है. ऐसे में आसियान सम्मेलन से पहले हुई बैठक चीन को घेरने के लिहाज से अहम मानी जा रही है.

चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसका विरोध करते रहे हैं. ऐसे में अमेरिका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन करता रहा है. अब उसने चीन के इस दखल को रोकने के लिए जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ मिलकर समूह बनाने की कोशिशें तेज कर दी है.

यूं तो इस चतुष्कोणीय सुरक्षा वार्ता के गठन का विचार 10 साल पहले ही आया था. हालांकि अबतक यह धरातल पर उतर नहीं पाया. ऐसे में ये ताजा घटनाक्रम इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद जगाते हैं. पिछले दिनों जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने भी कहा था कि जापान इस रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत बनाने को लेकर बातचीत का समर्थन करता है.

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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इस नए गठजोड़ की कोशिशों ने चीन को भड़का दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, 'संभावित प्रस्ताव की सफलता के लिए यह सभी प्रासंगिक पक्षों के लिए खुला और समावेशी होना चाहिए.' उसने कहा कि इस मामले में किसी तीसरे देश को निशाना बनाने के लिए राजनीति नहीं चाहिए.

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