Advertisement

इन 10 देशों ने बढ़ाई चीन की 'हैसियत' पर 'हेकड़ी' 7 दिनों में भारत ने ही मिटाई

मलेशिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि हमें आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) विदेश मंत्रियों के मीडिया में दिए बयान को वापस लेना होगा, क्योंकि तत्काल संशोधन किए जाने हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीनी राष्ट्रपति शि जिनपिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीनी राष्ट्रपति शि जिनपिंग
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2016,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST

दस देशों के आसियान समूह ने चीन की दादागीरी के खिलाफ खुली चुनौती वाले बयान को वापस ले लिया है. इससे एशिया में चीन का ओहदा जरूर बढ़ गया है, लेकिन बीते सात दिनों में पीएम मोदी की पांच देशों की यात्रा के दौरान एनएसजी में हमारी सदस्यता को समर्थन मिलने के बाद भारत की बढ़ती हैसियत से चीन की बेचैनी भी बढ़ गई है. पूरे एशिया में अपना दबदबा बनाकर रखने वाला चीन भारत से डर रहा है.

Advertisement

मलेशिया ने बुधवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर में हालिया घटनाओं पर गंभीर चिंता जताने वाले एक बयान को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान ने वापस ले लिया है. इसमें तत्काल संशोधन किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: चीनी जहाज ने की भारत की जासूसी

मलेशिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि हमें आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) विदेश मंत्रियों के मीडिया में दिए बयान को वापस लेना होगा, क्योंकि तत्काल संशोधन किए जाने हैं. उन्होंने कहा कि आसियान सचिवालय ने बयान जारी करने को मंजूरी दी थी फिर बाद में मंत्रालय को बताया कि इसे वापस ले लिया गया है. मालूम हो कि मलेशिया समेत आसियान में दस देश हैं.

पहले लगाई थी फटकार
मंत्रालय ने चीन की मेजबानी वाले चीनी और आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक के बाद शुरू के बयान के कुछ घंटे बाद एक बयान जारी किया. शुरू के बयान में दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों को लेकर उसे फटकार लगाई गई थी. बयान में चीन का नाम लिए बगैर कहा गया था, हमने उन हालिया और जारी घटनाक्रमों पर अपनी गंभीर चिंताएं जाहिर की हैं जिन्होंने भरोसे को कम किया है, तनाव बढ़ाया है और जिनमें दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को कमतर करने की क्षमता है.

Advertisement

ऐसा क्‍यों हुआ, ये पता नहीं
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बयान को वापस लेने की जरूरत क्यों पड़ी. इसके शब्द आसियान के हालिया बयानों के अनुरूप थे. चीन लगभग समूचे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है जिससे होकर काफी संख्या में वैश्विक जहाज गुजरते हैं. इसने क्षेत्र में कृत्रिम द्वीप और हवाईपट्टी बना कर अपने दावे को मजबूत किया है. ये सैन्य उपयोग के लिए उपयुक्त हैं.

हमसे है परेशान....परेशान

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का विरोध तेज करते हुए चीन की आधिकारिक मीडिया ने आज कहा कि इससे न सिर्फ चीन के राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा पैदा होगा, बल्कि यह पाकिस्तान की दुखती रग को भी छुएगा. नई दिल्ली में अधिकारी भारत के 48 देशों के समूह का सदस्य बनने के चीन के विरोध को तवज्जो नहीं देने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि हाल के दिनों में चीन अपने विरोध में सार्वजनिक रूप से मुखर रहा है. चीन ने रविवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह गैर एनपीटी देशों के शामिल होने के मुद्दे पर विभाजित हैं और इस पर पूर्ण चर्चा की जानी चाहिए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement