
गुजरात चुनाव में शानदार प्रदर्शन, 2जी घोटाले पर फैसले के बाद कांग्रेस के लिए एक और राहत की खबर है. मुंबई के हाईप्रोफाइल आदर्श सोसाइटी मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को राहत मिली है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर गर्वनर सी. विद्यासागर द्वारा दिए गए मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द कर दिया है. बता दें कि राज्यपाल ने बीते मार्च में ही अशोक चव्हाण पर केस चलाने के निर्देश दिए थे.
क्या है 'आदर्श सोसायटी'?
महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी बनाई थी. यह 31 मंजिला पोश इमारत युद्ध में मारे गए सैनिकों की विधवाओं और भारतीय रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बनाई गई थी.
क्या है मामला?
सोसायटी बनने के कुछ सालों बाद एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ कि तमाम नियमों को ताक पर रख सोसायटी के फ्लैट ब्यूरोक्रैट्स, राजनेताओं और सेना के अफसरों को बेहद कम दामों में बेचे गए. इस घोटाले का पर्दाफाश 2010 में हुआ. इस मामले में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा था.
इमारत गिराने के मिले आदेश
21 दिसंबर 2010 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है. इसके बाद कोर्ट ने सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. पर्यावरण नियमों को दरकिनार करने की वजह से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इस इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए.
2011 में न्यायिक जांच के आदेश
मामले की जांच के लिए 2011 में महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय न्यायिक कमिशन का गठन किया. इसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जेए पाटिल ने की. 2 साल तक इस समिति ने 182 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की और अप्रैल 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.
4 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भी आई आंच
समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कुल 25 फ्लैट गैरकानूनी तौर पर आवंटित किए गए थे. इनमें से 22 फ्लैट फर्जी नाम से खरीदे गए थे. इस रिपोर्ट में महाराष्ट्र के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों का भी नाम आया. इनमें अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और शिवाजीराव निलंगेकर पाटिल शामिल थे.
इनके अलावा दो पूर्व शहरी विकास मंत्री राजेश तोपे और सुनील ततकारे और 12 ब्यूरोक्रैट्स के नाम रिपोर्ट में गैरकानूनी गतिविधयों को लेकर शामिल किया गया. जिन लोगों को फ्लैट आवंटित किया गया था उनमें देवयानी खोब्रागड़े का भी नाम था.