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अशोक सिंघल, हिंदुत्व का वह फायरब्रांड नाम जिसने रामजन्मभूमि आंदोलन को जन्म दिया. जिसने 1964 में कुछ हिंदू नेताओं को साथ लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) नाम का संगठन खड़ा किया. सिंघल उस दौर के इंजीनियर थे जब देश साक्षरता के लिए संघर्ष कर रहा था. लेकिन जब पेशा चुनने की बात आई तो उन्होंने हिंदुत्व का एजेंडा चुना.
वीएचपी का अंतरराष्ट्रीयकरण उन्होंने ही किया और विदेश में दफ्तर बनाए. 20 साल तक इसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. जब तक जिये अपने संगठन के संरक्षक बनकर जिये. लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया. वह 89 साल के थे.
सिंघल ने ही बुलाई थी पहली धर्म संसद
1984 में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पहली धर्म संसद का आयोजन सिंघल ने ही किया था. इसमें सैकड़ों साधुओं और हिंदू नेताओं ने हिस्सा लिया था. रामजन्मभूमि आंदोलन का जन्म इसी धर्म संसद के दौरान हुआ था. इसके बाद जब-जब बीजेपी की सरकार रही हिंदुत्व का एजेंडा आगे आता रहा.
सिंघल ने ही चलाया कार सेवक अभियान
दक्षिणपंथी तेजतर्रार नेता सिंघल ने अपना जीवन हिंदुत्व के मुद्दे पर समर्पित किया. सिंघल का 'कार सेवक' अभियान में भी महत्वपूर्ण योगदान था. इसी अभियान के चलते छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद ढहाई गई.
आगरा में दो अक्तूबर 1926 को जन्मे सिंघल ने वर्ष 1950 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी’ से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी.
वह वर्ष 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये थे लेकिन स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद वह पूर्णकालिक प्रचारक बने. उन्होंने उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर काम किया और दिल्ली तथा हरियाणा के प्रांत प्रचारक बने.
वर्ष 1980 में उन्हें विहिप में जिम्मेदारी देते हुए इसका संयुक्त महासचिव बनाया गया. वर्ष 1984 में वह इसके महासचिव बने और बाद में इसके कार्यकारी अध्यक्ष का पद सौंपा गया. इस पद पर वह दिसंबर 2011 तक रहे. वह जीवनभर आरएसएस की विचारधारा से प्रेरित रहे और संघ परिवार के प्रमुख सदस्य रहे.
वीडियो: अशोक सिंघल से सीधी बात