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एशिया प्रशांत हिंदी सम्मेलन सियोल में शुरू

कोरिया में एशिया प्रशांत अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन 2014 की शुरुआत गुरुवार को हुई. सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में हिंदी पढ़ने वाले छात्रों, विद्वानों और मीडिया कर्मियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया.

aajtak.in
  • सियोल,
  • 14 मार्च 2014,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST

कोरिया में एशिया प्रशांत अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन 2014 की शुरुआत गुरुवार को हुई. सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में हिंदी पढ़ने वाले छात्रों, विद्वानों और मीडिया कर्मियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया.

भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख विद्वान सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. कोरिया का हांकुक विदेश अध्ययन विश्वविद्यालय (एचयूएफएस) 13-14 मार्च 2014 को एशिया प्रशांत अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन 2014 का आयोजन कर रहा है.

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यह सम्मेलन भारत के विदेश मंत्रालय के हिंदी विभाग और सियोल स्थित भारतीय दूतावास के सहयोग से किया जा रहा है. इसका थीम है '21वीं सदी की हिंदी शिक्षा: एशिया-प्रशांत के संदर्भ में'. एचयूएफएस के अध्यक्ष डॉ. किम इन-चुल ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय 1972 से हिंदी और भारतीय अध्ययन में जुटा हुआ है.

उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारतीय अध्ययन पर और अधिक ध्यान दिया जाएगा. राजदूत विष्णु प्रकाश ने हिंदी के महत्व पर रोशनी डाली और कोरिया में हिंदी के प्रसार के लिए लगातार काम करने के लिए एचयूएफएस को बधाई दी. एचयूएफएस के प्रोफेसर एमेरीटस ली जियोंग-हो ने उम्मीद जताई कि जल्द ही संयुक्त राष्ट्र में कामकाज की भाषा बन जाए.

चीन के प्रोफेसर जियांग जिंकुई ने भारतीय संस्कृति और भाषाओं की सराहना की. उन्होंने धाराप्रवाह हिंदी में कहा कि मैं हिंदी सांस लेता हूं, पीता हूं और खाता हूं. उन्होंने कहा कि चीन के 10 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है और इसकी संख्या और बढ़नी चाहिए.

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इस अवसर पर विश्वविद्यालय के छात्रों ने कोरिया के पारंपरिक तबला वादन और सियोल के भारतीय संस्कृति केंद्र ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में हिंदी पढ़ने वाले छात्रों, विद्वानों और मीडिया कर्मियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया.

सियोल और बुसान में दो भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना भारत और कोरिया के बीच सांस्कृतिक संबंध बढ़ाने के लिए क्रमश: 2011 और 2013 में की गई है. इन केंद्रों में योग, नृत्य, हिंदी भाषा और प्रचीन भारतीय पाककला की कक्षाएं और फिल्म के शो नियमित तौर पर आयोजित होते हैं.

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