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Asian Games: बेरोजगार मंजीत ने 800 मीटर में 36 साल बाद दिलाया पहला गोल्ड

मंजीत सिंह ने एशियाई खेलों की पुरुष 800 मीटर दौड़ में प्रबल दावेदार हमवतन जिनसन जॉनसन को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता, जबकि उनके साथी ने रजत पदक हासिल किया.

मंजीत सिंह मंजीत सिंह
विश्व मोहन मिश्र
  • जकार्ता,
  • 28 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 10:27 PM IST

बेरोजगार और अनजान एथलीट मंजीत सिंह ने ट्रैक पर धूम मचाई तथा एशियाई खेलों की पुरुष 800 मीटर दौड़ में प्रबल दावेदार हमवतन जिनसन जॉनसन को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता. भारत ने इस स्पर्धा में पहले दो स्थान हासिल किए.

मंजीत को पदक का दावेदार नहीं माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने अनुभवी जॉनसन को पीछे छोड़कर एक मिनट 46.15 सेकेंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय पदक जीता. केरल के एशियाई चैंपियनशिप के पदक विजेता जॉनसन एक मिनट 46.35 सेकेंड का समय लेकर दूसरे स्थान पर रहे.

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भारत ने 800 मीटर में आखिरी बार 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था, तब चार्ल्स बोरोमियो ने यह उपलब्धि हासिल की थी.

यह एशियाई खेलों में केवल दूसरा अवसर है, जब भारतीय एथलीट 800 मीटर दौड़ में पहले दो स्थानों पर रहे. उनसे पहले नई दिल्ली में 1951 में पहले एशियाई खेलों में रंजीत सिंह और कुलवंत सिंह ने यह कारनामा किया था.

भारत के गोल्ड और सिल्वर मेडलिस्टः मंजीत सिंह (बीच में) और जॉनसन बाएं

सेना के अमरीश कुमार से कोचिंग लेने वाले मंजीत ने एक मिनट 46.24 सेकेंड के अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में सुधार किया, जो उन्होंने गुवाहाटी में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में किया था.

कोई भी मंजीत को स्वर्ण पदक का दावेदार नहीं मान रहा था, लेकिन उन्होंने कहा कि वह खुद को साबित करने के लिए प्रतिबद्ध थे. जींद में रहने वाले मंजीत ने कहा, ‘मैंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी दौड़ के वीडियो देखे और गलतियों का आकलन किया. मैं अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिये प्रेरित था.’

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यह पहला अवसर नहीं है, जब मंजीत ने जॉनसन को पीछे छोड़ा. इससे पहले पुणे में 2013 में भी उन्होंने केरल के एथलीट को हराया था. मंजीत ने कहा, ‘मैं आशान्वित था. मैंने अपने हिसाब से तैयारी की और कभी राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने के बारे में नहीं सोचा. मैं केवल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था. मेरे पास नौकरी नहीं है, लेकिन मेरा कोच सेना से जुड़ा है.’

मंजीत ने कहा कि वह पिछले डेढ़ साल से ऊटी में अभ्यास कर रहे थे और एशियाई खेलों से पहले तीन महीने भूटान में भी अभ्यास किया.

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उन्होंने कहा, ‘मैंने अच्छी तैयारी की थी. मेरी रणनीति शुरू में धावकों का अनुशरण करना और फिर अंतिम 100-150 मीटर में तेजी दिखाना था. मैंने ऐसा किया और मैं अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा.’

मध्यपूर्व के कई देशों ने अफ्रीकी एथलीटों को अपनी टीमों से जोड़ा है, लेकिन मंजीत ने कहा कि वह उन्हें पीछे छोड़ने के प्रति प्रतिबद्ध थे. उन्होंने कहा, ‘भारतीय एथलीट अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. तजिंदरपाल सिंह तूर और नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीते, जिससे मुझे प्रेरणा मिली. यहां तक कि जिन्होंने रजत पदक जीते उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए.’

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जॉनसन ने कहा कि मंजीत का प्रदर्शन बेजोड़ था और वह जीत का हकदार था. उन्होंने कहा, ‘उसने वास्तव में शानदार दौड़ लगाई और इसलिए वह पहले स्थान पर रहा. उसका प्रदर्शन बेजोड़ था.’ कतर के अब्दुल्ला अबुबकर एक मिनट 46.38 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

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