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असम में बाढ़ का कहर, आदिवासी इलाकों में जान पर आफत

असम के 28 जिले बाढ़ का कहर झेल रहे हैं. गांव से शहर और खेत-खलिहान तक विशाल जलाशय में तब्दील हो चुके हैं. आलम ये है कि बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं.

असम में बाढ़ का कहर असम में बाढ़ का कहर
आशुतोष मिश्रा
  • गोलाघाट, असम ,
  • 16 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST

असम के 28 जिले बाढ़ का कहर झेल रहे हैं. गांव से शहर और खेत-खलिहान तक विशाल जलाशय में तब्दील हो चुके हैं. आलम ये है कि बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं.

 

हालात जानने के लिए आजतक की टीम गोलाघाट जिले के बोकाखाट पहुंची. यहां बड़ी संख्या में आदिवासी लोग रहते हैं. पारंपरिक तौर पर जमीन से कई फुट ऊंचे मकानों के लिए पहचाने जाने वाले यहां के लोग सालों से ब्रह्मपुत्र का क़हर झेल रहे हैं. मगर इस बार इनके मुसीबत बनी है नगालैंड से आने वाली नदियां. इनक जलस्तर काफी बढ़ गया, जिससे पूरे इलाके में पानी भर गया.

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माज़दौलपा गांव में हरे-भरे खेत हुआ करते थे. मगर अब यहां हर तरफ जनसैलाब नजर आता है. बाढ़ से धान की फसल डूब कर बर्बाद हो चुकी है. इतना ही नहीं, जिन खेतों में कभी हल चले थे, आज वहां नाव चल रही है. गरीबी का आलम यह है जिन घरों में नाव नहीं है उन्होंने प्लास्टिक के छोटे-छोटे डब्बों की मदद से अपने ही तरीके की नाव बनाई है. गांव के लोगों ने घरों का सामान और अपने मवेशियों को सुरक्षित तटवर्ती इलाकों पर पहुंचा दिया है. हालांकि बड़ी संख्या में आदिवासी अभी भी इन गांवों में रहे हैं.

 

गांव की रहने वाली ज्योत्सना का घर जमीन से 9 फुट की ऊंचाई पर बना है. नीचे पानी भरा है और ऊपर ज्योत्सना का परिवार बिना रोशनी के रात का अंधेरा और तेज गर्मी में अपना दिन काट रहा है. घर में कीड़े मकोड़ों और सांपों के आने का खतरा लगातार बना हुआ है.

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फिलहाल, प्रशासन पूरी मुस्तैदी से हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. राहत-बचाव का काम जारी है. केंद्र सरकार लगातार राज्य के अधिकारियों से हालात का जायजा ले रही है और हालात पर नजर बनाए हुए है.

 

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