
असम में बाढ़ से हालात और खराब हो गए हैं. बाढ़ की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि शिमला में भी बारिश के चलते शिमला-कालका नेशनल हाईवे 14 घंटों तक बंद रहा.
अब तक 12 की मौत
असम में लगातार हो रही बारिश के चलते 1400 से अधिक गांव में 6.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बाढ़ की रिपोर्ट के
अनुसार धुबरी जिले के बिलासिपारा राजस्व सर्कल के राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर दो लोग डूब गए. पिछले 24 घंटे में कोकराझाड़ में दो अन्य लोगों की मौत हो गई. इसके
साथ ही असम में बाढ़ के कारण हुई मौतों का आंकड़ा 12 पर पहुंच गया. इनमें कोकराझाड़ में चार, लखीमपुर और धुबरी में दो-दो, बोंगईगांव, बक्सा, सोनितपुर और
चिरांग प्रत्येक जिले में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई.
बोंगईगांव में हालात सबसे खराब
एएसडीएमए के मुताबिक 1417 गांव में 6.55 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए. शुक्रवार तक 19 जिलों के 1071 गांव में करीब 5.76 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आ
गए थे. एएसडीएमए के मुताबिक बोंगईगांव जिले में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं जहां करीब 1.68 लाख बाढ़ के कारण प्रभावित हुए. इसके बाद कोकराझाड़ में 1.64
लाख बाढ़ से प्रभावित हैं.
लैंडस्लाइड से 14 घंटे बंद रहा शिमला-कालका हाईवे
उधर हिमाचल प्रदेश में शोघी के पास विशाल भूस्खलन से शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग करीब 14 घंटों तक बंद रहा. जिसके चलते दूसरी तरफ सैकड़ों वाहन फंसे रहे.
भूस्खलन शनिवार सुबह पांच बजे हुआ. यातायात के शोघी-मेहाली उपमार्ग पर मोड़ देने से समाचार पत्र, दूध, ब्रेड, सब्जियां समेत अन्य दैनिक जरूरतों के समान के लोगों
तक पहुंचने में देरी हुई.
लैंडस्लाइड से सड़क पर 100 फीट गहरा गड्ढा
भूस्खलन से सड़क पर लगभग 100 फीट का गहरा गड्ढा हो गया और पूरी सड़क मलबे के नीचे दब गई. इस घटना में कोई भी हताहत नहीं हुआ है.
यातायात के शोघी-मेहाली उपमार्ग पर मोड़ दिया गया लेकिन वाहनों की भारी भीड़ के चलते वहां भी जाम की स्थिति पैदा हो गई.
विस्फोट करके हटाई गईं चट्टानें
सुबह से मौके पर मौजूद इंजीनियर (राष्ट्रीय राजमार्ग) महेश सिंघल ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने चट्टानों और मलबा हटाने के लिए कई मजदूरों और भारी
मशीनरी को तैनात किया, पर चट्टानें काफी विशाल थीं जिसके चलते उन्हें तोड़ने के लिए वहां विस्फोट करना पड़ा. बड़ी संख्या में पर्यटक भी वहां कई घंटों तक फंसे रहे. शाम तक भी सड़क के न खुलने की वजह से यातायात को दूसरी तरफ मोड़ा दिया गया है.