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स्पेस में रहने वाले एस्ट्रोनॉट के शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं क्या कभी इसके बारे में सोचा है. इसी बात को जानने के लिए नासा ने एक प्रयोग किया. जिसमें पाया कि स्पेस में रहने से मानव शरीर में काफी बदलाव होते हैं. जिस वजह से उनका DNA भी बदल जाता है. जाने कैसे नासा ने इन सभी बातों का पता लगाया.
ऐसे शुरू किया प्रयोग
सबसे पहले नासा ने जुड़वा भाइयों स्कॉट कैली और मार्क कैली को चुना. नासा के मुताबिक इस प्रयोग के लिए वह एक दम सही विकल्प थे. दोनो ही एस्ट्रोनॉट हैं.
मानव शरीर में बदलाव जांचने के लिए साल 2015 में स्कॉट को स्पेस में भेजा गया जहां उन्होंने 340 दिन बिताए. इस दौरान उनके भाई मार्क को धरती पर ही थे. जब स्कॉट धरती पर वापस लौटें तो नासा ने उनके पूरे शरीर को परखा और पता लगाया कि उनका शरीर उनके जुड़वा भाई मार्क से कितना अलग है. बता दें, इस प्रयोग से पहले नासा के वैज्ञानिकों ने दोनों भाइयों का डाटा ले लिया था जिसके बाद डाटा की तुलना की गई थी.जानें- स्पेस में कैसे सोते, खाते और बाथरूम जाते हैं एस्ट्रोनॉट
ये मिले परिणाम
- डेटा के विश्लेषण में इम्यून सिस्टम, हड्डियों के गठन, धरती के वायुमंडल से दूर रहने के बाद उनके DNA पर असर दिखा.
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- रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने सबसे आश्चर्यजनक निष्कर्ष पाया कि स्पेस में रहने के दौरान स्कॉट के टेलोमेरेस (क्रोमोसोम के अंत में रिपीटीटिव सीक्वेंस) की लंबाई बढ़ गई थी. लेकिन धरती पर वापस आने के बाद लंबाई फिर से कम हो गई थी. गौरतलब है कि जब कोई व्यक्ति बूढ़ा होता है, तो उसके टेलोमेरेस छोटे हो जाते हैं.
- इसी के साथ स्कॉट के DNA उनके भाई के DNA से अलग पाए गए.
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नासा के एक प्रमुख इन्वेस्टिगेटर क्रिस्टोफर मेसन का कहना है कि जुड़वा भाइयों के लिए ये एक शानदार प्रयोग है. DNA में परिवर्तन के साथ ही स्कॉट को आंखों और इम्यून सिस्टम की समस्या से जूझना पड़ा.