
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले में 40 जवानों की शहादत का बदला भारतीय वायुसेना ने ले लिया है. मंगलवार अल सुबह वायुसेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान स्थित 3 आतंकी कैंप पर हमला किया जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी, वरिष्ठ कमांडर, प्रशिक्षक और आतंकी हमलों के प्रशिक्षण के लिए आए जिहादी समूहों का सफाया हो गया. इस हमले ने जैश के सबसे महफूज ठिकाने बालाकोट के आतंकी ट्रेनिंग कैंप को भी जमींदोज कर दिया.
भारतीय वायुसेना की कार्रवाई की जानकारी देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि विश्वस्त गोपनीय सूत्रों से जानकारी मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद देश के विभिन्न हिस्सों में एक और आत्मघाती आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था और इसके लिए फिदायीन जिहादियों को प्रशिक्षित किया जा रहा था. सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर है कि मौलाना मसूद अजहर के बेटे अब्दुल्ला ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के कैंप में दिसंबर 2017 में एडवांस ट्रेनिंग ली थी.
सूत्रों का दावा है कि पुलवामा हमले की साजिश भी बालाकोट कैंप में ही हुई थी. पिछले 3 महीनों में जैश ने 60 जेहादियों को ट्रेनिंग दी गई और पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी ने भी बालाकोट में ही ट्रेनिंग ली थी. बता दें कि पुलवामा हमले के 100 दिन बाद हुई सैन्य कार्रवाई में गाजी ढेर हो गया था. जैश कमांडर अब्दुल रशीद गाजी दिसंबर 2018 में कश्मीर में दाखिल हुआ था और वहां के नौजवानों को फिदायीन हमले के लिए तैयार कर रहा था.
सूत्रों के मुताबिक बालाकोट कैंप में कुल 6 बड़ी बैरक थीं और इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए निर्माण कार्य जारी था. बालाकोट कैंप में कमांडर समेत 300 आतंकी हर समय मौजूद रहते थे. बालाकोट कैंप के संचालन मसूद अजहर का साला यूसुफ अजहर कर रहा था. यूसुफ नए जेहादियों को ट्रेनिंग देने के साथ ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में था.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इससे पहले बालाकोट कैंप आतंकी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन का ट्रेनिंग सेंटर था जिसे कुछ साल पहले जैश-ए-मोहम्मद ने अपने कब्जे में ले लिया था. इस कैंप में ट्रेनिंग देने वाले पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी और अफगानिस्तानी लड़ाके होते थे.
बता दें कि बालाकोट सेंटर की दूरी एबटाबाद से महज 2-3 घंटे की है, एबटाबाद वही जगह है जहां अल कायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन अमेरिका के हमले में मारा गया था. भारत की तरफ से हमले की आशंका देखते हुए एक हफ्ते में आतंकियों के लॉन्च पैड खाली करा दिए गए थे. जबकि जैश के टॉप कमांडर आमतौर पर सुरक्षित बालाकोट कैंप में चले गए थे.
लिहाजा यह समझा जा सकता है कि इस बार गोपनीय सूत्रों की जानकारी सटीक थी और उन्हें आभास था कि नियंत्रण रेखा से हटाए गए जैश कमांडर सुरक्षित स्थान बालाकोट पहुंच गए थे. लेकिन वायुसेना के एक प्रहार ने उनके घर में घुसकर उन्हें तबाह कर दिया.