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महाकुंभ में विश्‍व हिंदू परिषद की धर्म संसद

इलाहाबाद के कुंभ में गुरुवार को संतों की एक विशेष संसद होगी, जिसमें सात हजार से ज्यादा साधु संत हिस्सा लेंगे. इस संसद में मार्गदर्शन मंडल भगवान राम के मंदिर निर्माण पर एक प्रस्ताव पेश करेगी.

aajtak.in
  • इलाहाबाद,
  • 07 फरवरी 2013,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST

इलाहाबाद के कुंभ में गुरुवार को संतों की एक विशेष संसद होगी, जिसमें सात हजार से ज्यादा साधु संत हिस्सा लेंगे. इस संसद में मार्गदर्शन मंडल भगवान राम के मंदिर निर्माण पर एक प्रस्ताव पेश करेगी.

राम मंदिर के लिए संसद में बने कानून: सिंघल
रास्ता तो वो भी दिखाने चले थे, जो  देश बनाने का दावा करते आ रहे हैं लेकिन देश ही भटक गया. धर्म, राजनीति, जातिवाद. भ्रष्टाचार, कट्टरपंथ के भूल भुलैये में उलझा हुआ भारत अब फिर से रास्ता पूछा जा रहा हैं. महाजनो येन गत: स पन्था अर्थात बड़े लोग जिस रास्ते पर गए वही सही रास्ता है. विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल कुंभ में बैठे महाजनों से रास्ता पूछ रहे हैं. उनका आह्वान कर रहे हैं कि वो तीन नदियों के संगम वाली धरती से कुछ इस उठ कर जागें कि तीन में से सिर्फ एक ही नदी रह जाए. बाकी सब विलीन हो जाए.

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कैसी होगी धर्म संसद
धरती के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में धर्म की एक विशेष संसद लग रही है. दोपहर के दो बजे संतों का समागम होगा जहां साधु संतों के साथ हिन्दू धर्म की राजनीतिक पताका लहराने वाले पुरुष भी जुटे हुए हैं. विश्व हिन्दू परिषद के अलावा, राष्ट्रीय स्वय़ं सेवक संघ के प्रमुख और सात हजार संत इन सबकी मौजूदगी में मार्गदर्शक मंडल राम मंदिर पर एक प्रस्ताव पारित करेगा.

राम मंदिर ना बनना हिंदुओं का अपमान: विश्‍व हिंदू परिषद
सवाल उठता है कि राम राम करने वाली इन तमाम गरजती आवाज़ों में और कुंभ में चुप चाप राम नाम का जाप करने वाले संतों की आवाज़ में फर्क क्या है. बात सीधी सी है, एक के लिए राम देश मे प्रतिक्रिया की राजनीतिक सीढ़ी के सहारे सियासत के शिखर को छूने का बहाना हैं जबकि दूसरे के लिए राम त्याग और जीवन में संबंधों का सबसे सुंदर रूप प्रस्तुत करने वाले प्रतीक पुरुष. उऩ राम के लिए सत्ता कभी महत्वपूर्ण नहीं थी.

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साधु संतों का समाज राम मंदिर की इच्छा तो रखता है लेकिन राजनीतिक दलों की तरह अपनी सुविधा और सहूलियत से राम, रहीम को भूलता और याद नहीं करता है. कुंभ की इस पावन धऱती से राम को गलत समझे जाने का पाप अगर इस देश में हो जाए. तो दोष किन्हें देना है. यह हम सभी अच्छी तरह जानते हैं.

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