
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मंत्रालयों और केंद्र सरकार के विभागों से उनसे सीधा कानूनी राय मांगने को मना करा है. वेणुगोपाल ने कहा कि उन्हें विधि मंत्रालय के जरिए उनके कार्यालय से संपर्क करना चाहिए यह बात सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कही.
अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कुछ सचिवों को पत्र लिखा है जिनके मंत्रालय ने विभिन्न मुद्दों पर कानूनी राय मांगने के लिए उनसे सीधा संपर्क किया था. पदाधिकारी ने बताया कि वेणुगोपाल के कार्यालय ने यह भी कहा है कि कानूनी राय मांगते वक्त मामले के संक्षिप्त विवरण का भी उल्लेख किया जाना चाहिए.
इसके विपरीत उनके पूर्ववर्ती मुकुल रोहतगी की राय थी कि विभागों को कानूनी राय के लिए सीधा उनसे संपर्क करने की अनुमति होनी चाहिए क्योंकि विधि मंत्रालय के जरिए अनुरोध करने में समय लगता है.
साल 2017 की शुरूआत में रोहतगी ने विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखा था कि विभागों और यहां तक कि मंत्रियों ने मामले को अत्यावश्यक बताते हुए विधि मंत्रालय के जरिये कानूनी राय मांगने के उनके अनुरोध को ठुकरा दिया है.
विधि अधिकारी सेवा शर्त नियमावली, 1972 का नियम 8 ई कहता है कि जब तक विधि मंत्रालय से रेफरेंस नहीं मिलता है तब तक किसी भी मंत्रालय या विभाग को राय नहीं दी जाएगी.
रोहतगी की राय थी कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 76 का उल्लंघन करता है जो कहता है कि महान्यायवादी का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे और विधिक स्वरूप के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राष्ट्रपति उसको समय-समय पर निर्देशित करे या सौंपे.