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संपत्ति सृजन स्कीम से कमाते हैं राहुल गांधी: अरुण जेटली

राहुल और गांधी परिवार संपत्ति सृजन स्कीम से धन कमाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में राहुल और उनकी टीम ने यह तय किया कि जो भी ईमानदारी से अपना काम कर रहा है. उसे राजनीति के जरिए परेशान कर दो. राहुल गांधी को समझना चाहिए कि जो लोग कांच के घरों में रहते हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते.

अरुण जेटली . (file) अरुण जेटली . (file)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आजकल कुछ मीडिया संगठन कांग्रेस अध्यक्ष पर स्टोरी कर रहे हैं. जब मैंने उन कहानियों को समझने की कोशिश की और जानकारी जुटाई तो पता चला कि उस व्यक्ति (राहुल गांधी)  ने  कभी बिजनेस किया ही नहीं. इसके बावजूद वह अच्छा जीवन जी रहा है. विदेश यात्राएं कर रहा है. आज की तारीख में हर वह व्यक्ति इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ है जिसे कैश में पैसे चाहिए. जब तक कैश में पैसे मिल रहे थे तब किसी ने आवाज नहीं उठाई.

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राहुल और गांधी परिवार संपत्ति सृजन स्कीम से धन कमाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी और उनकी टीम ने यह तय किया कि जो भी ईमानदारी से अपना काम कर रहा है. उसे राजनीति के जरिए परेशान कर दो. राहुल गांधी को समझना चाहिए कि जो लोग कांच के घरों में रहते हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते. मैंने जो भी पढ़ा और जानकारी जुटाई से ये बातें सामने आई हैं.

संपत्ति सृजन स्कीम चलाता है गांधी परिवार

इंदिरा गांधी ने 9 लाख रुपए में फार्म हाउस बनवाया था. फिर उन्होंने इसे राजीव गांधी को दे दिया. राजीव गांधी के बाद यह फार्म हाउस राहुल और प्रियंका को मिल गया. गांधी परिवार की यह आदत रही है कि वे अपने एकाउंट में किसी भी तरीके से पैसे जोड़ते रहते हैं. वे संपत्ति सृजन स्कीम चलाते हैं. मैं इस बात पर गांधी परिवार को चुनौती देता हूं कि वे मुझे गलत साबित करें.

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ऐसे कमाते हैं संपत्ति सृजन स्कीम से

अरुण जेटली ने बताया संपत्ति सृजन स्कीम कैसे काम करती है. उन्होंने राहुल और गांधी परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी कांग्रेस की सरकार होती है. तब वे कागजों पर किसी को भी किराएदार बना देते हैं. फिर जिससे भी काम निकलवाना होता है, उसे गांधी परिवार फार्महाउस दे देता है. वो आपको एडवांस में रुपए देता है.  इतना ही नहीं फार्महाउस पर काम करने वाले ड्राइवर और नौकर का वेतन भी किराएदार देता है.  2004 से 2014 तक यही होता आया. फिर ये जाते हैं रीयल इस्टेट डेवलपर के पास. वो आपको एक प्लॉट बेचता है. आप उसे इंस्टालमेंट देते हैं. डेवलपर गांधी परिवार के साथ एग्रीमेंट करता है कि आप जो भी इंस्टालमेंट देंगे, उसमें आपको निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा.

फार्महाउस में रहने वाले घोटालेबाज किराएदार

राहुल के फार्महाउस में जिग्नेश शाह की एफटीआईएल कंपनी किराएदार थी. इन्होंने 16 हजार निवेशकों से करीब 5800 करोड़ रुपए लूट लिए. वापस भी नहीं किए. इनकी दो कंपनियां थीं. दोनों का विलय कर लोगों के पैसे लौटाए जा सकते थे, लेकिन इन लोगों ने अपनी सरकार में ऐसा नहीं किया. उसी बीच, जिग्नेश शाह पॉलिटिकल इक्विटी लेकर आए. हमारी सरकार आने के बाद हमने कंपनी का विलय कर निवेशकों की भरपाई की. सरकार बनते ही किराएदारी खत्म हो गई. एफटीआईएल के बाद उन्हें यूनिटेक के संजय चंद्रा मिल गए. उनकी जांच 2जी मामले में चल रही है. चंद्रा पिछले डेढ़ साल से जेल में हैं. चंद्रा भी गांधी परिवार को वैसा ही फायदा पहुंचाते थे जो रियल ईस्टेट डेवलपर से मिलता था.

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महबूबा पर पलटवार, जेटली बोले- हम उसी नियम को मान रहे हैं, जो तय हुआ था

अरुण जेटली ने महबूबा मुफ्ती के बयान पर कहा कि कई प्रकार के संवैधानिक तर्क दिए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि धारा 350 और धारा 35ए अगर वापस ले लिए जाएं तो कश्मीर भारत का हिस्सा ही नहीं रहेगा. लेकिन महबूबा को यह नहीं पता है कि महाराजा हरि सिंह के बाद जब कर्ण सिंह सद्र-ए-रियासत बने तो उन्होंने भी कहा था कि कश्मीर का भारत में विलय में वही शर्तें थीं, जो बाकी राज्यों के लिए थीं. धारा 370, 26 जनवरी 1950 में आया जबकि विलय उससे पहले हुआ था. वहीं, धारा 35ए 1954 में आया था. भारत के संविधान में किसी भी प्रक्रिया से कोई अलग हो जाए, इसका कोई प्रावधान नहीं है.

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