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धरती पर कैसे पहुंचा था सबसे पहला जीव, सुलझ गया रहस्य

एएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर जोशेन ब्रोक्स ने कहा, हमने इन चट्टानों को पीस कर चूर्ण बना दिया और प्राचीन जीवों के अणुओं को इसमें से निकाल लिया. उन्होंने कहा कि शैवाल के उदय ने पृथ्वी के इतिहास में सबसे गहन पारिस्थितिकी क्रांतियों को शुरू किया. इसके बिना इंसान और अन्य प्राणियों का अस्तित्व न होता.

प्राणियों का विकास 65 करोड़ साल पहले शैवाल के उदय के साथ शुरू हुआ प्राणियों का विकास 65 करोड़ साल पहले शैवाल के उदय के साथ शुरू हुआ
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 17 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST

वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझा लिया है कि प्राणी सबसे पहले पर धरती पर कैसे आए थे. यह पृथ्वी ग्रह के लिए एक बेहद अहम क्षण था, जिसके बिना इंसान का अस्तित्व ही नहीं होता. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मध्य ऑस्ट्रेलिया की प्राचीन अवसादी चट्टानों का विश्लेषण किया और पता लगाया कि प्राणियों का विकास 65 करोड़ साल पहले शैवाल के उदय के साथ शुरू हुआ.

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एएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर जोशेन ब्रोक्स ने कहा, हमने इन चट्टानों को पीस कर चूर्ण बना दिया और प्राचीन जीवों के अणुओं को इसमें से निकाल लिया. उन्होंने कहा कि शैवाल के उदय ने पृथ्वी के इतिहास में सबसे गहन पारिस्थितिकी क्रांतियों को शुरू किया. इसके बिना इंसान और अन्य प्राणियों का अस्तित्व न होता.

ब्रोक्स ने कहा कि यह सबकुछ होने से 50 करोड़ साल पहले एक नाटकीय घटना हुई थी जिसे स्नोबॉल अर्थ कहा जाता है. ब्रोक्स ने कहा कि 50 करोड़ सालों तक धरती फ्रोजेन बनी रही. बड़े-बड़े ग्लेशियर पहाड़ी इलाकों में खड़े रहे और जब धरती गर्म होकर बर्फ पिघली तो सागरों का निर्माण हुआ. यह सब ग्लोबल वार्मिग के चलते हुआ.

उन्होंने कहा कि समुद्र में उच्च स्तर के पोषक हैं, जो वैश्विक तापमान को रहने लायक बनाते हैं. इनकी वजह से ही शैवालों के तेजी से फैलने लायक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हुआ. ब्रोक्स ने कहा कि यह संक्रमण काल था, जिसमें बैक्टीरिया प्रभावी थे.

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ब्रोक्स के साथी शोधकर्ता अंबर जैरेट ने कहा कि मध्य ऑस्ट्रेलिया की इन चट्टानों में हमें छोटे-छोटे जीवाश्म के संकेत मिले. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी रिसर्च स्कूल के अर्थ साइंस विभाग से पीएचडी ग्रेजुएट जैरेट ने कहा कि हमें शुरू में ही पता चल गया था कि हमने एक बड़ी खोज की है, जो स्नोबॉल अर्थ से लिंक है और इसके चलते ही सबसे गहन पारिस्थितिक क्रांतियां शुरू हुईं.

 

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