
विश्व कैंसर दिवस के मौके पर कैंसर विशेषज्ञ दिनेश पेंढारकर बताते हैं कि कई बार उनके सामने ये सवाल आते हैं कि मुझे कैंसर कैसे हो सकता है? मैं धूम्रपान नहीं करता, मैं रोजाना कसरत करता हूं, मैं सही खाना खाता हूं और मैं हर साल अपना स्वास्थ्य जांच करवाता हूं. कैंसर की पुष्टि होने पर हक्का-वक्का परेशान मरीज मुझसे अक्सर ऐसा ही कहते हैं.
लेकिन वास्तविकता यह है कि यह किसी को भी हो सकता है. क्योंकि हमारे आसपास प्रदूषण, कीटनाशकयुक्त खानेपीने की चीजें और तनावपूर्ण जीवन है. इन सबके असर से कैंसर पैदा होता है जिस पर किसी का वश नहीं है. इससे बचने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच तो ठीक है लेकिन जागरूकता और सतर्कता समान रूप से महत्वपूर्ण है. आज विश्व कैंसर दिवस है. दुनियाभर में इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को कैंसर दिवस मनाया जाता है.
उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता है कैंसर
अगर हमारे शरीर की कोई कोशिका स्वास्थ्य जांच के अगले दिन कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसका पता हमें अगले स्वास्थ्य जांच के नतीजे आने पर चलेगा, जोकि आमतौर पर साल भर बाद करवाया जाता है. तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और यह शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल सकता है. हम अपने परिवार के सदस्य, करीबी दोस्त, या सहकर्मी को जानते होंगे जो इस घातक बीमारी का सामना कर रहे हैं. इसलिए इसके शुरुआती लक्षण नजर आते ही तुरंत उन्हें प्रशिक्षित कैंसर विशेषज्ञ (आंकोलोजिस्ट) से मिलना चाहिए. हर साल कैंसर के लगभग 11 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं. इनमें से भारत में किसी भी वक्त 33 लाख लोग कैंसर से जूझ रहे होते हैं. कैंसर उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है और बुढ़ापे में कैंसर होने की संभावना काफी अधिक होती है.
कैंसर के प्रमुख लक्षण
आजकल हम कैंसर के बारे में इंटरनेट पर काफी जानकारी हासिल कर सकते हैं. इसलिए अब हममें से ज्यादातर कैंसर के बारे में अनजान नहीं हैं. वैज्ञानिक इसे रोकने, इसकी जांच करने और इसके इलाज के लिए नित नई खोज कर रहे हैं. यही कारण है कि पहले कहा जाता था कि हमें साल में एक बार मैमोग्राफी जांच जरूर करावानी चाहिए. लेकिन अब हम इसे दो-तीन सालों में एक बार करवा सकते हैं. वहीं, मैमोग्राफी के लिए उम्र सीमा को भी 40 से बढ़ाकर 50 कर दिया गया है. कैंसर के प्रमुख लक्षणों में सबसे पहला लक्षण प्रभावित क्षेत्र में हल्के से लेकर गहरा दर्द होना है. इसके अलावा एकाएक अकारण वजन घटना. शरीर के किसी हिस्से का असामान्य बढ़ना, बिना कारण के खून निकलना, सांस लेने में तकलीफ होना, भूख कम हो जाना, बुखार आना या अत्यधिक थकान महसूस करना होता है.
कैंसर का इलाज संभव
आम धारणा के विपरीत कैंसर के इलाज के कई तरीके उपलब्ध हैं. यह मरीज की आयु, बीमारी की तीव्रता और फैलाव पर निर्भर है. लेकिन इलाज कैसा हो यह कोई अनुभवी और कुशल डॉक्टर ही बता सकता है. कैंसर का इलाज हर मरीज के लिए अलग-अलग होता है इससे मरीज के ज्यादा समय तक जिंदा रहने की संभावना बढ़ जाती है. अब कैंसर का पता शुरुआती जांच में ही लगाया जा सकता है. वैज्ञानिक जहां इसका स्थाई इलाज खोजने में जुटे हैं. वहीं, अब कैंसर का बेहतर इलाज उपलब्ध है. एक बार कैंसर का पता लगते ही मरीज को जीवन भर इलाज की जरूरत पड़ती है.
मानसिक परेशानी स जूझते हैं कैंसर के मरीज
जिन मरीजों की कैंसर कोशिकाएं पूरी तरह हटा दी गई हैं और वह स्वस्थ हो गया हो उसे भी लगातार स्वास्थ्य जांच की जरूरत पड़ती है. ज्यादातर मरीज कैंसर के कारण मानसिक परेशानी का शिकार हो जाते हैं कि एकाएक कुछ हो जाए तो उन्हें कौन देखेगा. इसलिए कुछ सामान्य इलाज जिसमें किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं हो जैसे टीका लगाना, पानी चढ़ाना इत्यादि घर पर ही किया जाना चाहिए.
ऐसे मिलेगा डर से छुटकारा
भारत में कैंसर मरीजों के घर पर ही सस्ता और बेहतर इलाज मुहैया कराने की जरूरत है और कुछ कंपनियां इस दिशा में जुटी हैं. जैसे ट्राकोस्टोमी मैनेजमेंट, स्टोमा केयर, ओंको इमर्जेसी रिकागनीशन आदि. ये कंपनियां मरीजों को घर पर ही चौबीसो घंटे देखभाल की सुविधा मुहैया कराती हैं. इसलिए हम इस बीमारी पर विजय पाने से पहले मरीजों और परिजनों के लिए इस बीमारी से लड़ाई आसान बना सकते हैं. या कम से कम इस बीमारी के दौरान देखभाल को लेकर होने वाले डर से छुटकारा दिला सकते हैं.