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अयोध्या केसः कौन सी है वह किताब जिसमें लगा नक्शा सुप्रीम कोर्ट में राजीव धवन ने फाड़ा

पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब 'Ayodhya Revisited'में दावा किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया था, वो बाबरी मस्जिद नहीं थी. किताब के मुताबिक इस बात के पर्याप्त सूबत हैं कि यहां पर राम मंदिर विराजमान था.

अयोध्या केस में सुनवाई का आज आखिरी दिन है. अयोध्या केस में सुनवाई का आज आखिरी दिन है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में फाड़ा गया नक्शा
  • मुस्लिम पक्ष के वकील ने फाड़ा नक्शा
  • हिन्दू महासभा की ओर से किया गया था पेश
सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या मामले पर आखिरी सुनवाई के दौरान जोरदार बहस देखने को मिली. बुधवार को जब सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलीलें देनी शुरू की तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के साथ उनकी तीखी तकरार हुई. कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विकास सिंह द्वारा पेश किए गए एक नक्शे को फाड़ दिया और उसके पांच टुकड़े कर दिए.

वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने इस नक्शे को पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब 'Ayodhya Revisited' से निकालकर अदालत में पेश किया था. ये किताब 2016 में प्रकाशित की गई थी. इस किताब में लिखा गया है कि अयोध्या स्थित राम मंदिर को 1528 में मीर बाकी ने ध्वस्त नहीं किया था. बल्कि इसे 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने तोड़ा था.

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उदार राजा था बाबर

इस किताब में कहा गया है कि बाबर एक उदार शासक था और विवादित बाबरी मस्जिद के निर्माण में उसका कोई रोल नहीं था. इस किताब में कहा गया है कि अयोध्या में मात्र एक सबूत था जिससे साबित होता था कि इस मंदिर को बाबर से निर्देश के बाद मीर बाकी ने तोड़ा था. ये सबूत था दो शिलालेख. किताब में कहा गया है कि मीर बाकी से जुड़ा ये सूबत झूठा है.

6 दिसंबर को ध्वस्त किया गया ढांचा बाबरी मस्जिद नहीं

किशोर कुणाल की किताब 'Ayodhya Revisited' में दावा किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया था, वो बाबरी मस्जिद नहीं थी. किताब के मुताबिक इस बात के पर्याप्त सूबत हैं कि यहां पर राम मंदिर विराजमान था. किताब में कहा गया है कि बुकानन के रिकॉर्ड्स के मुताबिक औरंगजेब के शासनकाल में अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिर तोड़े गए थे.

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बाबरनामा में मंदिर तोड़ने का जिक्र नहीं

किशोर कुणाल के मुताबिक राम मंदिर के दावे को साबित करने के लिए इस किताब में पहली बार 12 नये दस्तावेज जोड़े गए थे. बुधवार को हिन्दू महासभा के वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने इसी किताब को अदालत में पेश करने कोशिश की और कहा कि बाबरनामा में मंदिर को तोड़ने और मस्जिद को बनाने का कोई जिक्र नहीं है. पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल के मुताबिक ज्यादातर मंदिर औरंगजेब के काल में तोड़े गए.

वकील विकास सिंह ने कहा कि किशोर कुणाल की किताब को अदालत में रिकॉर्ड के तौर पर स्वीकार किया जाए. उन्होंने दावा किया कि किताब में तीन नक्शे हैं जहां पर जन्मस्थान की सही जगह अंकित है. बता दें कि इस पर डिबेट है कि अयोध्या में भगवान राम का सही जन्मस्थान कहां है.

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