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अयोध्या विवादः AIMPLB ने कहा- किसी को नहीं देंगे बाबरी मस्जिद की जमीन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट से बाहर किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार किया है.

राम जन्मभूमि राम जन्मभूमि
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 12 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

  • जताई मुस्लिम पक्षकारों के पक्ष में फैसले की उम्मीद
  • यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की विविधता के लिए खतराः AIMPLB

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट से बाहर किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार किया है. शनिवार को लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक हुई.

मोहम्मद राबे हुसैनी नदवी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई. इसमें कहा गया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट के बाहर फैसला नहीं हो सकता है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार इस मामले में कानूनी प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है. बाबरी मस्जिद की जमीन किसी भी विपक्षी पार्टी को नहीं दी जाएगी.

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस मामले पर केवल देश ही नहीं, बल्कि विश्व समुदाय की भी नजरें टिकी हुई हैं. विवादित भूमि को लेकर बोर्ड ने कहा कि किसी भी मंदिर के निर्माण के बाद मस्जिद नहीं बनी थी. बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में मुस्लिम पक्षकारों की वकील राजीव धवन की ओर से की जा रही पैरवी पर संतोष व्यक्त किया.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विश्वास व्यक्त किया कि कोर्ट का फैसला मुस्लिम पक्षकारों के पक्ष में आएगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई चल रही है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने दोनों ही पक्षों से 18 अक्टूबर तक इस मामले में बहस पूरी करने को कहा है.

मुख्य न्यायाधीश गोगोई नवंबर माह में रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके रिटायर होने से पहले इस मामले में फैसला आ जाएगा.

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'यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की विविधता के लिए खतरा'

इस दौरान ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का भी विरोध किया. पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की विविधता के लिए खतरा हैं. अगर अदालत और संसद ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की कोशिश की, तो इसका विरोध किया जाएगा. बोर्ड ने यह भी कहा कि तीन तलाक के कानून की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी जाएगी.

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