
कई दशक से चला आ रहा राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद अब न्याय के सबसे बड़े मंदिर सुप्रीम कोर्ट के सामने है. इस मुद्दे पर शुक्रवार से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की है. यह बेंच अयोध्या भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं और विवादित भूमि के मालिकाना हक पर फैसला सुनाने के लिए सुनवाई करेगी. इस मामले पर सियासत भी लंबे समय से होती रही है.
अयोध्या मामले में कुल 14 लोग पार्टी हैं, जिनमें से तीन प्रमुख पक्षकार हैं- निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड. ये तो हुए कानून और सियासत की बात, लेकिन हम आपको बताएंगे कि अयोध्या के आम लोगों के मन में इस मुद्दे पर क्या चल रहा है और कैसे देख रहे हैं अयोध्या के लोग इस पूरे घटनाक्रम को-
फैसला सर्वमान्य हो
हनुमान गढ़ी पर अस्पताल चल रहे डॉक्टर सम्राट अशोक मौर्य कहते हैं- ये मामला आस्था से जुड़ा हुआ है, जितनी जल्दी हो सके इसका फैसला हो. सुप्रीम कोर्ट ऐसा फैसला करे, जो सर्वमान्य हो. क्योंकि इस मुद्दे के जरिए सामाजिक ताने-बाने को बहुत नुकसान हो चुका है. अयोध्या मुद्दा जब भी उठता है तो सारी परेशानियां और बंदिशें अयोध्या के लोगों को उठानी पड़ती हैं.
बहुत हो चुका राजनीतिक खेल
दिनेश सिंह कहते हैं- अयोध्या प्रकरण में लोगों की भावनाओं के साथ राजनीतिक खेल बहुत दिनों से खेला जा रहा है. अब ये बंद होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट सबूतों के आधार पर फैसला करें, ताकि सियासत खत्म हो सके और अयोध्या के लोग अमन-चैन से रह सकें.
दूर हटकर बनाई जाए मस्जिद
अयोध्या में क्षेत्रीय स्तर पर अखबार निकाल रहे मंजर मेंहदी कहते हैं- राम जन्मभूमि -बाबरी विवाद का आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट होना चाहिए. हम लोग शुरू चाहते हैं कि ये मामला अयोध्या का और अयोध्या वासियों का है. यही वजह है कि इसे अयोध्या के लोग ही बैठकर आपस में हल करें. लेकिन फिलहाल मामला कोर्ट में हैं, तो कोर्ट अपना फैसला सुनाए. जहां तक हमारी राय की बात है तो हम चाहते हैं कि मस्जिद को उस जगह से दूर बनाई जाए, ताकि हमेशा के लिए विवाद खत्म हो सके.
आने वाली नस्ल के लिए झगड़ा नही छोड़ना
हम आने वाली नस्लों के लिए झगड़ा छोड़कर नहीं जाना चाहते. देश की कई पीढ़ियां पहले ही इस झगड़े को देखकर दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं. इस केस में अब कोई दम नहीं रह गया है, नई पीढ़ियों को इस मुद्दे पर कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है. सुप्रीम कोर्ट भी 2010 के हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाता है तो बेहतर होगा. हम उस हिस्से की जमीन पर कब्जा तो रखेंगे, लेकिन उस जगह से हटकर बनाई जाए.
अयोध्या में शांति
गौरव तिवारी कहते हैं कि भले ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही हो लेकिन यहां किसी तरह की कोई सनसनी और उत्तेजना का माहौल नहीं है. बाहरी सियासत वाले और मीडिया के लोग यहां न आए तो यहां पता भी नहीं चलता कि अयोध्या मुद्दे पर कुछ चल रहा है. राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद का ऐसा फैसला हो जिससे सभी पक्ष संतुष्ट हो और ये विवाद हमेशा के लिए हल हो सके. लेकिन बीच में बहुत से ऐसे लोग हैं जो नहीं चाहते कि ये मामला हल हो, क्योंकि इससे उनकी सियासत जुड़ी हुई है. जबकि अयोध्या के लोग चाहते हैं कि स्थानीय स्तर इस समस्या का समाधान हो.
आरोपियों को पहले सजा हो
जबकि वहीं अतीक अहमद कहते हैं कि 1992 में ऐतिहासिक इमारत को गिरा दिया गया है, जो एक तरह से संविधान पर हमला था. इमारत गिराने वाले आरोपियों को पहले सजा दी जाए, फिर उसका फैसला हो. इस मुद्दे पर सियासत बंद होनी चाहिए और कानून अपना काम करे.
फैसला भाई-चारा वाला हो
ज्वैलरी की दुकान चला रहे अनिल अग्रवाल अंशु कहते हैं- दोनों समुदायों के आस्था से जुड़ा मामला है, इसीलिए फैसला ऐसा हो जिससे दोनों समुदाय संतुष्ट हो सके. ताकि दोनों समुदाय के बीच आपसी भाई-चारा कायम रहे. अयोध्या मुद्दे को लेकर भले ही देश में तनाव रहा हो, लेकिन अयोध्या में कभी भी दोनों समुदाय के बीच किसी तरह का मनमुटाव नहीं था.
जाने अब तक इस केस में अब तक क्या हुआ -
दावा किया जाता है कि 1528 में अयोध्या में मस्जिद का निर्माण किया गया, इसी जगह को हिंदू समुदाय भगवान राम की जन्मभूमि मानता है. 1859 अंग्रेज शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी. 1949 भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गई.1984 में कुछ हिंदुओं ने विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्म स्थल को 'मुक्त' करने और वहां राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया.1986 में ज़िला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाज़े पर से ताला खोलने का आदेश दिया. 1989 विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए विवादित स्थल के नज़दीक राम मंदिर की नींव रखी. 1992 में वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. 8 सितंबर, 2010 को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन की तीन हिस्सों में बांट दिया. एक हिस्सा रामलला विराजमान, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और एक हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड. इस फैसले पर कोई सहमत नहीं हुआ और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, जिसके बाद पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सारे पक्ष बैठकर आपस में कोर्ट से बाहर इस मसले को हल कर लें और अगर वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता करने को तैयार है. लेकिन इस बात पर कोई राजी नहीं हुआ अब सुप्रीम कोर्ट हर रोज सुनवाई करेगा और फिर अपना फैसला देगा. इसी बीच शिया वक्फ बोर्ड भी पार्टी बनने के लिए हलफनामा दिया है.