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68 साल से लटका हुआ है राम मंदिर मामला, जानें क्या है विवाद?

साल 1992 में 6 दिसंबर के दिन हजारों की संख्या में सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए.

दशकों से जारी अयोध्या विवाद दशकों से जारी अयोध्या विवाद
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं. अगर जरूरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता को तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर का मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है. जानें- क्या है राम मंदिर मामला और क्यों हैं इस पर विवाद.

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1528: दावा किया जाता है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ.

1949: बाबरी मस्जिद में गुप्त रूप से भगवान राम की मूर्ति रख दी गई. दावा किया गया कि भगवान राम का यही जन्म हुआ था. इसके बाद ये दावे सामने आए कि मंदिर हटाकर बाबरी मस्जिद बनवाई गई थी.

1984: मंदिर निर्माण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया.

1986: इस विवादित स्थल को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. इसी साल 1986 में ही बाबरी मस्जिद कमेटी का गठन किया गया.

SC ने कहा- दोनों पक्ष मिलकर सुलझाएं राममंदिर का मुद्दा, जरूरत पड़ी तो मध्यस्थता को तैयार

1990: लाल कृष्ण आडवाणी ने देशव्यापी रथयात्रा की शुरुआत की. साल 1991 में रथयात्रा का पायदा बीजेपी को हुआ और वो यूपी की सत्ता में आ गई. मंदिर बनाने के लिए देशभर से ईंटें भेजी गईं.

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1992: 6 दिसंबर के दिन हजारों की संख्या में सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए.

1992: न्यायूमूर्ति लिब्रहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया गया. 1993: इस आयोग ने जांच शुरू की.

2002: विवादित स्थल पर सैकड़ों श्रद्धालुओं का जमावड़ा शुरू हुआ. हाईकोर्ट के एएसआई को इस बात की जांच करने के लिए कहा गया कि 1528 में पहले वहां मस्जिद थी या नहीं.

2003: एएसआई ने कहा कि मंदिर अवशेष के सबूत हैं.

2009: लिब्रहान आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी.

2010: हाईकोर्ट ने इन विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया.

2011: सुप्रीम कोर्ट नें हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया.

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