
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार ने श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बना दिया है. इस ट्रस्ट में सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले वकील के पाराशरण से लेकर साउथ के मठ और शंकराचार्य तक को सदस्य बनाया गया है, लेकिन राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास को अभी तक जगह नहीं मिली है. नृत्यगोपाल दास के संगठन की राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका रही है, जिन्होंने सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने का काम किया है.
श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे, जिनमें 9 स्थायी और 6 पदेन सदस्य नियुक्त किए जाएंगे. ट्रस्ट की डीड में नौ स्थाई सदस्यों के नाम दे दिए गए हैं, जिसमें राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का नाम शामिल नहीं है. इससे साफ जाहिर है कि ट्रस्टी के रूप में उन्हें स्थान नहीं मिल सकेगा.
ट्रस्ट में अयोध्या के तीन सदस्य
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में अयोध्या के तीन लोग शामिल किए गए हैं. इनमें अयोध्या के राजपरिवार के वंशज विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, अयोध्या के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अनिल मिश्र और अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि महंत दिनेंद्र दास को स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है.
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अयोध्या की तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने समय सीमा के अंदर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए जाने पर प्रधानमंत्री का आभार भी प्रकट किया. साथ ही उन्होंने कहा है कि नृत्य गेपाल दास जैसे लोगों को ट्रस्ट में जगह ना देकर मोदी सरकार ने अच्छा किया, क्योंकि इन्हीं लोगों ने सालों साल तक राममंदिर के नाम पर लोगों को लूटा है और अकूत संपत्ति बनाई है.
संत समाज नाराज
वहीं, राम मंदिर न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल नहीं किए जाने से कुछ संत नाराज भी हैं. महंत सुरेश दास ने कहा कि सरकार ने संतों का अपमान किया है. मुख्यमंत्री योगी ने खुद कहा था कि नृत्य गोपाल दास ट्रस्ट में शामिल होंगे. इसके बाद भी उन्हें शामिल नहीं किया गया है. कुछ अन्य संतों ने कहा कि नृत्य गोपाल को ट्रस्ट में होना चाहिए था लेकिन उनका मतलब मंदिर बनने से है. किसी ट्रस्ट और किसी समिति से नहीं है.
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नृत्यगोपाल दास को यह बयान तो कहीं महंगा नहीं पड़ा
हालांकि नृत्य गोपाल दास को शामिल न किए जाने पर सफाई दी जा रही है कि आयु और अस्वस्थता की वजह से उन्हें ट्रस्ट से मुक्त रखा गया है. हालांकि नृत्य गोपाल दास के लिए वह बयान देना तो महंगा नहीं पड़ गया, जिसमें उन्होंने नया ट्रस्ट बनाने पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि सालों पहले से ही श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट नाम से एक ट्रस्ट अपना कार्य सही ढंग से कर रहा है. इसीलिए आगे नया ट्रस्ट बनाने की कोई आवश्यकता ही नहीं है. श्रीराम जन्म भूमि न्यास में ही यथा आवश्यक फेरबदल करके राम मंदिर का निर्माण शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए.
ट्रस्ट के स्थायी 9 सदस्य
सुप्रीम कोर्ट के वकील के. परासरन, दलित सदस्य कामेश्वर चौपाल, जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर (प्रयागराज) के स्वामी वासुदेवानंद जी महाराज, कर्नाटक के उडुपी में स्थित कपीठाधीश्वर पेजावर मठ के जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज, हरिद्वार के अखंड आश्रम प्रमुख युगपुरुष परमानंद जी महाराज, पुणे के स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज, अयोध्या के राजपरिवार के वंशज विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, अयोध्या के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अनिल मिश्र और अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि महंत दिनेंद्र दास को ट्रस्ट में स्थाई के तौर पर रखा गया है.